बता दें कि ये मामला शुक्रवार को उस समय का है, जब राजधानी भोपाल के कंसल्टेंट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर शैलेश लुनावत गाड़ी नंबर 12322 हावड़ा मेल में सवार होकर भोपाल से पार्शनाथ जा रहे थे। उनका कहना है कि यात्रा के दौरान में निगहत परवीन नाम की महिला को तेज प्रसव पीड़ा हुई. वो नजदीक के कंपार्टमेंट में ही थे। डॉक्टर होने के नाते उन्होंने मरीज की सहायता के लिए उससे जानकारी ली तो पता लगा कि वो 36 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी। स्थितियां जांचने पर ये तय हुआ कि अभी डिलीवरी करानी होगी, वरना महिला और बच्चे की जान पर बन सकती थी।
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बच गई मा और बच्चे की जान
लुनावत के अनुसार उनके पास कुछ जरूरी सामान जैसे सिजर, सैनेटाइजर, कॉटन जैसा फर्स्टएड का सामान था। अन्य महिलाओं से थोड़ा थोड़ा जरूरी सामान और एवं उनकी मदद लेकर हमने महिला की सुरक्षित डिलीवरी करवाई। इस तरह से महिला और उसके बच्चे की जान बच गई। फिर मैहर स्टेशन पर महिला को हमने चिकित्सीय व्यवस्था के लिए उतार दिया।
क्या कंबल की मदद नहीं कर सकता भारतीय रेलवे- डॉ. लुनावत
लुनावत ने बताया कि महिला और बच्चे की जान बचाने की तो खुशी है ही पर रेलवे का रवैया हैरान करने वाला रहा। उन्होंने कहा रेलवे स्टाफ ने इस मामले में हमें बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं किया। ऊपर से टिकट चेकिंग स्टाफ सिर्फ इस बात पर हमसे नाराज हो गया कि आपने महिला के साथ हमारा कंबल चादर दे दिया। डॉ. लुनावत का कहना था कि ऐसी स्थिति में मैं महिला और उसके बच्चे को खुले में एंबुलेंस तक नहीं भेज सकता था। इसलिए रेलवे का कंबल उसे देना पड़ा।