यह स्थिति इसलिए भी पैदा हो रही है क्योंकि सिंधिया समर्थक scindia fans विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं, वहीं अब कुछ इसे मध्यावधि चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि दअरसल दोनों राजनीतिक political parties दलों के विधायक आंकड़े बहुमत के पास होने यानि लगभग एक समान होने की वजह से प्रत्येक नागरिक के मन में सरकार का क्या होगा, ऐसे प्रश्न पैदा हो रहे हैं। जिनका समाधान ठीक ढंग से नहीं प्राप्त हो रहा है।
यहां तक कि कई जगहों पर अलग-अलग mid-term elections प्रकार की बातें बतलाई जा रही हैं, वहीं आपके इन्हीं प्रश्नों को देखते हुए व इनके समाधान के लिए पत्रिका की ओर से जवाब ढ़ूंढ़ने का प्रयास किया गया, जिसके तहत हमने अधिवक्ता एवं विधि व्याख्याता पंकज वाधवानी से बात कि उन्होंने हर सवाल का जवाब देते हुए बताया कि अब भारतीय संविधान के अनुसार क्या-क्या स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं और उनके क्या-क्या समाधान है…
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इंदौर के अधिवक्ता पंकज वाधवानी के अनुसार कोई भी विधायक यदि विधायक MLAs रहते दल को बदल कर अन्य राजनीतिक दल अपना लेता है अथवा अपना राजनीतिक दल छोड़ देता है, तो संविधान में वर्ष 1985 में 52 वें संविधान Constitutional amendment संशोधन के तहत जोड़ी गई 10वीं अनुसूची और दल बदल कानून के अनुसार उसकी विधायकी नहीं रहेगी यानि विधायक को अपने पद से त्यागपत्र political game देना होगा, नहीं तो स्वत: ही वह विधायक नहीं रहेगा।
इस्तीफा स्वीकार करने का अधिकार : विधानसभा अध्यक्ष की शक्ति…
अनेक लोगों में यह भी कंफ्यूजन है कि विधायक अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करते हुए देगा। क्या राज्यपाल Governor को विधायक के इस्तीफे को स्वीकार करने की शक्ति है, तो हमारे संविधान कहता है कि विधायक का इस्तीफा स्वीकार करना विधानसभा अध्यक्ष speaker of the Assembly की शक्ति power में आता है। इस्तीफा स्वीकार करते से ही उक्त विधानसभा सीट रिक्त हो जाएगी और वहां उपचुनाव करने होंगे।
मध्य प्रदेश सरकार की वर्तमान कानूनी स्थिति…
वहीं मध्यप्रदेश में 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस सरकार अल्पमत Congress government minority में रह गई है। यदि ये इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो कमलनाथ सरकार का गिरना निश्चित है। उसके बाद प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जिसे वह उपयुक्त पाते हैं उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे। 22 विधायकों के बाद बहुमत के लिए आंकड़ा सिर्फ 104 विधायकों का रह जाएगा और जो कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के पास 106 विधायक हैं ऐसी स्थिति में यदि फ्लोर टेस्ट कराया भी जाता है तो भी भाजपा सरकार का निर्माण कर सकती है।
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सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों का क्या होगा…
ज्योतिरादित्य jyotiraditya scindia सिंधिया के साथ भारतीय जनता पार्टी bjp के आपसी राजीनामे के तहत सिंधिया scindia fans समर्थकों को मंत्री भी बनाया जा सकता है अथवा विधानसभा टिकट देकर उपचुनाव में भाजपा bjp MLA के विधायक के रूप में अवसर दिया जा सकता है। यहां तक कि सरकार में जो लोग विधायक नहीं है ,उन्हें भी मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन मंत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा vidhansabha की सदस्यता प्राप्त करना जरूरी है। जो या तो किसी सदस्य का इस्तीफा दिलवा कर स्थान रिक्त करवाकर चुनाव करवाकर किया जा सकता है। इस प्रकार इन 22 विधायकों में से भी जिनको चाहे उन्हें नई बनने वाली सरकार में मंत्री minister बनाया जा सकता है ।
मध्यावधि चुनाव की संभावना कब…
अधिवक्ता एवं विधि व्याख्याता वाधवानी के अनुसार भारतीय Indian Constitution संविधान के अंतर्गत वर्तमान स्थिति में कमलनाथ सरकार द्वारा विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की जा सकती है क्योंकि वर्तमान सरकार अल्पमत में है और विधानसभा भंग Dissolution of assembly करने की सिफारिश बहुमत में रहने वाली सरकार ही कर सकती है, ऐसी संवैधानिक व्यवस्था है।
वहीं यदि कांग्रेस के भी सभी विधायक इस्तीफा दे देते हैं,तब भी मध्यावधि mid term election चुनाव की अनिवार्यता नहीं है। सरकार का गठन हो सकता है। उसके पश्चात भाजपा की सरकार बहुमत सिद्ध करने के बाद, यदि चाहे तो, विधानसभा भंग करने की सिफारिश करके मध्यावधि चुनाव करवा सकती है।
वहीं यदि 22 विधायकों में से कुछ विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और वे कांग्रेस के खेमे में वापस चले जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में भी संख्या बल देखना होगा, जिसके पास अधिक संख्या बल होगा वह सरकार का निर्माण कर लेगा और अविश्वास प्रस्ताव को भेद देगा।