राजधानी भोपाल में लॉकडाउन लगा दिया गया है। वहीं अंतिम संस्कार के लिए भोपाल के विश्राम घाटों में अब जगह कम पडऩे लगी है। हर रोज विश्राम घाट की क्षमता से ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन करीब 60 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। यही कारण है कि अब विश्राम घाट कमेटी नई जगह तैयार कर रही है।
17 घंटे का इंतजार
आलम ये है कि शवों को अस्पताल से विश्रामघाट तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस 17 घंटे बाद मिल पा रही है। अंतिम संस्कार के लिए भी परिजन परेशान हो रहे है। जानकारी के लिए बता दें कि सरस्वती नगर निवासी दमोतीबाई को पॉजिटिव होने पर हमीदिया में भर्ती किया था। बीके दिन रात 2 बजे परिजनों को फोन करके बताया गया कि उनकी मौत हो गई है।
इस दौरान रात में ही कागजी कार्रवाई पूरी की। बताया गया कि सुबह 10 बजे एंबुलेंस से शव भदभदा विश्रामघाट भेजा जाएगा। शाम 4 बजे भी एंबुलेंस नहीं आई तो एडीएम उमराव मरावी को कॉल किया। एडीएम के दखल के बाद शाम 7 बजे एंबुलेंस पहुंची।
ठंडी नहीं हो पा रही चिता की राख
राजधानी में हालात ऐसे है कि एक अंतिम संस्कार की राख भी ठंडी नही होती और दूसरा शव पहुंच जाता है। राख उठाने का मौका भी नहीं मिलता है, वहीं उसी जगह पर दूसरे शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा या फिर किसी दूसरी नदी में बहाने की परंपरा है लेकिन कोरोना के दौरान लोग इस परंपरा को निभाने से वंचित रह रहे हैं।