राजधानी भोपाल के पुराने शहर में रहने वाला जितेंद्र राठौर का परिवार गोबर से बनी इन वैदिक राखियों को तैयार करने का काम कर रहा है। जितेंद्र के अनुसार, गाय के गोबर में मिट्टी मिलाकर वैदिक राखियां तैयार की जा रही हैं। मिट्टी और गोबर को सांचे में भरकर स्वास्तिक, ओम आदि कई डिजाइनों की राखियां बनाई जाती हैं। हर्बल कलर से पेंट कर घर पर ही राखियां तैयार की जाती हैं। गोबर से बनी इन राखियों की कीमत सिर्फ 8 से 10 रुपये होती है। इस बार गोबर से बनाई जाने वाली इन इको फ्रेंडली राखियों को लोगों से अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है। बड़ी संख्या में लोग इसके ऑर्डर दे रहे हैं।
पढ़ें ये खास खबर- Raksha Bandhan 2021 : सबसे पहले महाकाल को बांधी जाती है राखी, जानिये इसके पीछे का कारण
गोवंश बचाने के अभियान में सहयोगी है राखी
जितेंद्र राठौर की मानें, तो इको फ्रेंडली राखियों के जरिए गोवंश को बचाने का अभियान भी शुरु किया गया है। इस राखी के साथ साथ लोगों को गोवंश की रक्षा करने का संकल्प दिलाया जाता है। अपनी संस्कृति और विरासत को सहेजने की दिशा में आगे बढ़ें। गाय के गोबर से बनी वैदिक राखियों को तैयार करने के साथ ही गणपति उत्सव के लिए गोबर से बने हुए गणपति तैयार की जा रही है। पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले तोरण और घर के दूसरे डेकोरेटिव आइटम्स भी गाय के गोबर से बनाए जाते हैं। इसकी डिमांड लगातार बढ़ने लगी है।
रक्षाबंधन पर गुलजार हुए बाजार, देखें Video