भोपाल

यह हैं वाट्सअप वाले हनुमानजी, मैसेज करते ही पूरी करते हैं मनोकामना

hanuman ji ka whatsapp numberभोपाल के नेहरू नगर में है अर्जीवाले हनुमानजी, यहां वाट्सअप पर भी भेजी जाती है अपनी मनोकामना…।

भोपालApr 22, 2024 / 05:52 pm

Manish Gite

Hanuman Jayanti 2024: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हनुमानजी का अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में कभी कागजों पर लिखकर अर्जी लगाई जाती है और इसे नारियल के साथ बांधकर मूर्ति के चरणों में रख दिया जाता है। लेकिन, समय के साथ इस कागज की अर्जी ने टेलीफोन और अब मोबाइल पर जगह बना ली है। अब हनुमानजी के कई भक्त ऐसे हैं जो वाट्सअप पर अपनी परेशानी लिखकर हनुमानजी के वाट्सअप नंबर पर भेज देते हैं। भक्तों की आस्था ही है कि उनकी मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
unique temples of madhya pradesh: यह अनोखा मंदिर भोपाल के नेहरू नगर में अर्जीवाले हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्टूडेंट्स ज्यादा अर्जी लगाते हैं। मोबाइल के जमाने में चिट्ठी-पत्री को एक तरफ कर यह स्टूडेंट्स वाट्सअप पर ही अर्जी भेज देते हैं। यहां के प्रमुख पुजारी पंडित नरेंद्र दीक्षित इनकी मनोकामना मंत्रोच्चार के साथ हनुमानजी के चरणों में रख देते हैं।

अब सोशल मीडिया का जमाना

hanuman ji ka mobile: पंडित नरेंद्र दीक्षित (pandit narendra dixit) बताते हैं कि पहले चिट्ठी और पत्रों के जरिए एक नारियल के साथ अर्जी लगाई जाती थी, लेकिन बदलते दौर में और दूर-दराज रहने वाले लोग मोबाइल के जरिए मनोकामना सुनाने लगे और वाट्सअप पर भी लिखकर भेजने लगे। दूर-दराज के श्रद्धालुओं के लिए पंडितजी ने हनुमानजी के लिए एक अलग ही वाट्सअप नंबर उपलब्ध कराया है। इसी नंबर पर लोग समस्या बताते हैं और वाट्सअप के जरिए अर्जी भेज देते हैं। पंडितजी उनका यह संदेश हनुमानजी की मूर्ति तक मंत्रोच्चार के साथ पहुंचा देते हैं। हनुमानजी के लिए 7000335328 नंबर पर वाट्सअप करते हैं।
पंडित दीक्षित बताते हैं कि स्थानीय लोगों के अलावा बेंगलूरु, पुणे, मुंबई तो कोई दिल्ली, हिमाचल, पंजाब चले गए लोग आज भी वाट्सअप पर अपनी अर्जी भेज देते हैं। यह उनकी भावनाएं हैं कि वे किसी न किसी तरह से भगवान के साथ जुड़े रहना चाहते हैं।

वाट्सअप पर आई थी पहली अर्जी

पंडित नरेंद्र दीक्षित कहते हैं कि पांच-छह साल पहले राहुल गुप्ता नामक एक युवक ने वाट्सअप के जरिए पहली बार अर्जी लगाई थी। पहले वे खुद हैरान रह गए, लेकिन बच्चे की आस्था के आगे उन्होंने भी अर्जी को आगे बढ़ा दिया। उसकी अर्जी भगवान के समक्ष पढ़कर सुना दी। फिर क्या था, बच्चे की मनोकामना पूरी होने के बाद यह सिलसिला ही शुरू हो गया।
पं. दीक्षित के मुताबिक ऐसे किस्से भी आए जब कोई भक्त अस्पताल में भर्ती हुआ तो उनके परिजनों ने यहां के मंदिर का पूजन और आरती वीडियो कॉल के जरिए दिखाई गई। दर्शन कराए गए तो उन्हें स्वास्थ्य लाभ होने लगा।

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