मुख्य सचिव अनुराग जैन ने शनिवार को मीडिया से कहा, सरकार सोमवार को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। वैसे भी हाईकोर्ट को 6 जनवरी तक यूका कचरे के ट्रांसपोर्टेशन की कंह्रश्वलाइंस रिपोर्ट देनी है। सरकार ने डेडलाइन ध्यान में रखते हुए यूका का कचरा भोपाल से पीथमपुर में रामकी इंसीनरेटर तक भेजा। इसे जलाने की प्रक्रिया शुरू होती, विरोध के कारण रोकनी पड़ी।
पैरामीटर का 000.1 भी नहीं निकला
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, यूका का कचरा जलाने पर कांग्रेस ने भ्रम फैलाया है। पीथमपुर में 10 टन कचरा सैंपल के तौर पर जलाया, जिसकी रिपोर्ट में पैरामीटर 10 आना था, पर 000.1 भी नहीं निकला।
अफसरों ने इस तरह दूर की शंका
पीथमपुर को ही क्यों चुना
कुछ वर्ष पहले सभी राज्यों में विभिन्न तरह के जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए केंद्र ने एक-एक संयंत्र की जरूरत महसूस की थी। पीथमपुर संयंत्र इसी का हिस्सा है, जहां कचरा भेजा गया।
राख से नुकसान
कचरे के जलने के बाद बहुत कम अवशेष बचता है, जो राख के रूप में होगा। वैज्ञानिक आधार पर तय हो चुका है कि राख को कैह्रश्वसूल में जमीन के नीचे रखेंगे।
क्षेत्र में त्वचा रोगी बढ़ रहे
सामान्य तौर पर त्वचा संबंधी बीमारियों का जो स्तर सभी जगह पाया जाता है, पीथमपुर व उसके आसपास के 12 गांवों में कराई जांच में यह स्तर सामान्य के आसपास पाया गया। इसे जहरीले कचरे के निपटान से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
गैस और नुकसान पहुंचाने वाले अपशिष्ट निकाले जाएंगे
वातावरण में भी कार्बन डाइआक्साइड समेत विभिन्न गैसें होती है, पर तय मापदंड से अधिक नहीं होती। कचरा जलने से गैसें व अपशिष्ट निकलेंगे तो उनका स्तर भी तय मापदंड से कम ही होगा।
प्रभाव खत्म तो भारी सुरक्षा में परिवहन क्यों
ऐसे कचरे के परिवहन के लिए पहले से प्रोटोकाल तय है, उसी का पालन किया है। कचरा फैलाते हुए ले जाना ठीक नहीं था। इसलिए तय नियमों का पालन किया गया।
एनजीटी ने सरकार से मांगा हलफनामा
जबलपुर. यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने का मामला एनजीटी पहुंच गया। जबलपुर के सामाजिक संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने याचिका दायर कर सरकार से हलफनामा पेश कराने की मांग की है। सरकार स्पष्ट करे कि पीथमपुर में कचरा जलाने से नुकसान नहीं होगा। याचिकाकर्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की याचिका में मांग की है कि कचरा निस्तारण पर तैयार वैज्ञानिक रिपोर्ट सरकार पेश करे और उनका सार्वजनिक प्रकाशन भी कराए।