वन मंत्री उमंग सिंघार ने सोमवार को धार में दिग्विजय सिंह के ऊपर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने दिग्विजय सिंह की चिट्ठी पर कहा था कि दिग्विजय सिंह को चिट्ठी लिखने की क्या आवश्यकता है। पर्दे के पीछे से तो दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता और नेता सभी जानते हैं। सिंघार के इस बयान के बाद से ही मध्यप्रदेश की राजनीति में बवंडर मचा हुआ है। वहीं, दिग्विजय सिंह अभी इस विवाद पर खामोश हैं।
दिग्विजय ने चिट्ठी में लिखा कि मेरे द्वारा जनवरी से 15 अगस्त तक स्थानांतरण सहित विभिन्न विषयों से संबंधित आवेदन पत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए अग्रेषित किए गए थे। आपको पृथक से पत्र लिखकर कार्रवाई से अवगत कराने एवं यदि संभव नहीं है तो उसकी जानकारी देने का अनुरोध किया था। कार्रवाई के बारे में जानने के लिए आपसे 31 अगस्त के पूर्व भेंट करना चाहता हूं। कृपया मुझे समय प्रदान करने का कष्ट करें।
सत्ता-संगठन में तबादला बड़ा मुद्दा बना हुआ है। बड़ी संख्या में तबादलों के बावजूद कांग्रेस में असंतोष है। संगठन की शिकायत है कि मंत्री सुनते ही नहीं। उधर, मंत्रियों का तर्क है कि अफसरशाही उनकी नहीं सुन रही। ऐसे में दिग्विजय की चिट्ठी से यह माना जा रहा है कि इस कदम से मंत्री एक्टिव होंगे और वे कार्यकर्ताओं के लिए काम करेंगे।
मंत्री के आरोपों पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट पैदा हो गया है, मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं, लेकिन सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। उनकी चिठ्ठी जा रही है, कौन-कौन से काम हुए, बताओ। क्या मंत्री को धमकाने का अधिकार उनको है? इसलिए कांग्रेस को स्थिति स्पष्ट कर इस संकट को समाप्त करना चाहिए।