ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी (जेयू) में फिजिक्स के शोधार्थियों को टैम माइक्रोस्कोप पर एक प्रैक्टिकल करने के लिए महज पांच मिनट के दो हजार रूपए खर्च करना पड़ रहे हैं।
यह राशि उन्हें यहां नहीं बल्कि इंदौर, चंडीगढ़, कानपुर, दिल्ली या रूड़की यूनिवर्सिटी को देना पड़ रही है, क्योंकि जेयू का टैम सूक्ष्मदर्शी छह वर्ष से खराब पड़ा है। प्रैक्टिकल की फीस के साथ ही आने-जाने के लिए भी शोधार्थियों को हजारों रूपए खर्च करना पड़ रहे हैं।
ज्यादा समय लगा तो फीस दोगुना
जेयू में टैम माइक्रोस्कोप की सुविधा नहीं होने के कारण शोधार्थियों को अणु-परमाणु के अध्ययन के लिए इंदौर, दिल्ली, कानपुर, रूड़की,चंडीगढ़ जाना पड़ रहा है। यहां छात्रों से एक बार के अध्ययन के दो हजार रूपए वसूले जाते हैं। तथा समय सिर्फ 5 मिनट का दिया जाता है।
इस दौरान अगर वे अपना शोध पूरा नहीं कर पाए तो उनसे दोगुना चार्ज वसूला जाता है। इस अध्ययन के लिए उन्हें घंटों लाइन में भी लगना पड़ता है। मामले की जानकारी शोधार्थियों ने अपने गाइड प्रो.पी राजाराम के साथ डिपार्टमेंट हेड प्रो.यूसी वर्मा को दी है, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
50 लाख में होगी मरम्मत
शोधार्थियों के अनुसार जेयू के टैम सूक्ष्मदर्शी का कैमरा और इलेक्ट्रोन जनरेटर खराब हो गए हैं। इनकी कीमत करीब 50 लाख है। 2010 से दोनों उपकरण खराब है। छात्रों ने जब समस्या से गाइड व विभागाध्यक्ष को अवगत कराया तो उन्हें बजट न होने का हवाला देकर बात टाल दी गई। हालांकि इन छह वर्षो में शोधार्थी इससे कहीं अधिक राशि खर्च चुके हैं।
हर महीने लग रहे 8-10 हजार
वर्तमान में फिजिक्स डिपार्टमेंट में करीब 20 शोधार्थी काम कर रहे हैं। सूक्ष्मदर्शी की मरम्मत न होने से प्रत्येक शोधार्थी को दूसरे शहर में आने-जाने के साथ रूकने के करीब 8 से 10 हजार रूपए चुकाने पड़ रहे हैं। प्रत्येक छात्र को महीने में कम से कम एक बार इस सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करना पड़ता है।
बजट की कोई कमी नहीं
फिजिक्स डिपार्टमेंट में टैम सूक्ष्मदर्शी के काम न करने पर शोधार्थियों को इन्दौर, दिल्ली जैसे शहरों में जाकर पैसे खर्च करना पड़ रहे हैं, यह तो गंभीर बात है। हमारे पास बजट की कोई कमी नहीं है। में कल ही मामले को संज्ञान में लेकर स्थिति का जायजा लेती हूं।
प्रो.संगीता शुक्ला, कुलपति, जेयू
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