scriptयूनियन कार्बाइड का जहर हटा, एक्सपर्ट को आशंका ‘यहां आवाजाही घातक तो नहीं?’ | Toxic Waste Shifted Union Carbide toxic waste removed environmental expert fears movement here is dangerous or not | Patrika News
भोपाल

यूनियन कार्बाइड का जहर हटा, एक्सपर्ट को आशंका ‘यहां आवाजाही घातक तो नहीं?’

Toxic Waste Shifted: पांच एकड़ से निकलकर तीन किमी तक पहुंचा कचरा, 55 साल पहले लगा था कारखाना, 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात सुबह 3 बजे भोपाल के माथे पर लगा था कलंक, 1 जनवरी 2025 में रात 10 बजे मिली राहत, अब एक्सपर्ट बोले, वैज्ञानिक विश्लेषण होना चाहिए कि ताकि पता चल सके यहां आवाजाही घातक तो नहीं…

भोपालJan 02, 2025 / 11:39 am

Sanjana Kumar

toxic Waste shifted
Toxic Waste Shifted: 2-3 दिसंबर 1984 की सुबह तीन बजे यूनियन कार्बाइड ने शहर को जहर से भर दिया था। 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का का जहरीला कचरा 1 जनवरी की रात करीब 11 बजे हटाया गया। जहर तो हटा दिया गया लेकिन अब भी यूनियन कार्बाइड परिसर में दाग बाकी हैं। हानिकारक केमिकल जमीन के पानी को प्रदूषित कर रहे हैं।
कचरा हटने के बाद फैक्ट्री परिसर की जमीन का क्या होगा। अब इस पर बात होने लगी है। पर्यावरण विशेषज्ञ फैक्ट्री परिसर की जमीन पर वृक्षारोपण की बात कर रहे हैं। लेकिन इसके पहले यहां की मिट्टी की गुणवत्ता के परीक्षण की भी मांग उठ रही है। बुधवार की रात 10 बजे यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा 12 ट्रक और साथ 40 वाहनों के साथ रवाना हुआ। कड़ी सुरक्षा के बीच गैस पीडि़त संगठनों ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना था अब भी उनके विस्थापन और रोगमुक्त करने की प्रक्रिया अधूरी है।
यूनियन कार्बाइड के आसपास 3 किमी का भूजल दूषित हो चुका है। ऐसे में इसे साफ करना बड़ी चुनौती है। पर्यावरणविद, गैस पीडि़त और जानकार यहां हरियाली के पक्ष में खड़े नजर आए। पर्यावरणविदों का कहना है कि परिसर और आसपास के इलाके की जमीन जहरीली है। इसलिए इसका रासायनिक परीक्षण होना चाहिए। इसके बाद इस इलाके को सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला जाना चाहिए।

337 टन कचरा था

भोपाल गैस त्रासदी के बाद से बंद पड़े ‘यूनियन कार्बाइड’ कारखाने में करीब 337 टन रासायनिक कचरा रखा हुआ है। इसक जहरीले कचरे को पीथमपुर में एक निजी कंपनी की अपशिष्ट निपटान इकाई में नष्ट किया जाएगा। उक्त जहरीले कचरे को कंपनी तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

44 बस्तियों को किया प्रभावित

जमीन में दफन कचरा हर साल बरसात के साथ फैल रहा है। भूमिगत जल के जरिए के 44 बस्तियों तक पहुंच चुका है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सीलॉजी रिसर्च (आइआइटीआर) ने यहां भूमिगत जल के नमूने लिए थे। इसमें यूका के कई केमिकल पाए गए। इससे पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नीरी सहित कई संगठनों ने यूका कचरे को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है।

शनिवार से शुरू हुई थी कार्रवाई

शनिवार रात 11 बजे पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया इंदौर से यूनियन कार्बाइड के लिए 12 कंटेनर और 100 एक्सपर्ट की टीम रवाना हुई। 250 किलोमीटर का सफर कर सुबह 4 बजे टीम यूका फैक्ट्री में दाखिल हुई ।
रविवार सुबह फैक्ट्री छावनी में बदली, गेट पर पुलिस और सीआइएसएफ की टीम की तैनाती, पांच एकड़ की बाउंड्री पर पुलिस बल।

जेसीबी मशीनें। जहरीला कचरा जिस गोदाम में उस तक पहुंचने मैपिंग, रास्ता तैयार हुआ। इसमें तीन पेड़ काटे गए।
जेसीबी मशीन तैनात, गोदाम के आसपास सौ से अधिक झाडिय़ों को काटा, शाम को गोदाम का ताला खुला, कंटेनर से मशीनें निकाली, गोदाम के कचरे की जांच, कचरे का मुआयना।

सोमवार सुबह खाली शीशियां, मिट्टी, टूटे हेलमेट, सड़ चुकी बोरियां कचरे में, पैकिंग मंगलवार दोपहर तक जारी रही।
गैस राहत विभाग, सीपीसीबी और एमपीपीसीबी के अधिकारियों का मुआयना बुधवार शाम हरी झंडी, कॉरिडोर तैयार, कारगेट बना 11 बजे यूका फैक्ट्री से रवानगी छोला ब्रिज, गल्ला मंडी, रिंगरोड रोड होते हुए सीहोर, आष्ठा, इंदौर पीथमपुर, तारपुरा इंडस्ट्यिल एरिया पहुंचे।

इन रसायनों की आशंका अभी भी

ऑर्गेनोक्लोरीन: ये रसायन पर्यावरण में बहुत लंबे समय तक रह सकते हैं और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं। ये कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
डाइऑक्सिन और फ्यूरान ये रसायन अत्यंत जहरीले होते हैं और इन्हें कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों में से एक माना जाता है।

भारी धातुएं: लेड, क्रोमियम और आर्सेनिक। ये तत्व मानव शरीर के कई अंगों को नुकसान और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
ये रसायन कैंसर, श्वास संबंधी समस्याएं, त्वचा रोग, प्रजनन क्षमता में कमी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

भोपाल के माथे पर दाग

गैस कांड भोपाल के माथे पर दाग है। यूनियन कार्बाइड की जगह कुछ ऐसा जिसके वजह से भोपाल को पहचान मिले। अब तक गैस कांड एक दाग के रूप में है।
-मोहम्मद आफाक, सिटीजन वेलफेयर फोरम

वैज्ञानिक विश्लेषण की जरूरत

यहां वैज्ञानिक विश्लेषण की जरूरत है। ताकि पता लग सके यहां आवाजाही घातक तो नहीं। किसी निर्माण की बजाय जगह को खाली छोड़ा जाएगा। हरियाली बेहतर कदम साबित होगी।
-सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद

गैस पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि

40 साल पहले कारखाने की गैस से परिवार के कई सदस्यों की जान गई। फैक्ट्री देख हादसे की याद ताजा हो जाती है। इसे नया रूप देना। गैस पीडि़तों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
-मोहम्मद तारिक, गैस पीड़ित

एमपी की बड़ी उपलब्धि

यूका की जमीन से कचरा उठ गया। विभाग और प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है। आगे क्या होगा इसका निर्णय शासन स्तर पर ही होगा। जो भी हो भोपाल को पहचान दिलाने वाला हो।

Hindi News / Bhopal / यूनियन कार्बाइड का जहर हटा, एक्सपर्ट को आशंका ‘यहां आवाजाही घातक तो नहीं?’

ट्रेंडिंग वीडियो