– कान्हा नेशनल पार्क से शुरूआत
प्रदेश में बाघों की गणना कान्हा नेशनल पार्क से शुरू हुई है। यह अलीराजपुर और सेंधवा के जंगलों में मार्च २०१८ में पूरी होगी। बाघों की गणना के लिए आठ अलग-अलग संभागों में एक्सपर्ट की टीम बनाई हैं। वन्यप्राणी संरक्षण अमले का कहना है कि भोपाल के आस-पास भी बाघों का मूमेंट बढ़ा है। राष्ट्रीयस्तर पर बाघों की गणना करने के लिए प्रदेश में नौ हजार बीट बनाई गई हैं, जबकि देशभर करीब ३० हजार बीट बनाई गई हैं।
– पिछली बार हुई थी गड़बड़ी
वर्ष 2014 में कैमरा ट्रैपिंग के आधार पर प्रदेश में 286 बाघ बताए गए थे, जबकि एनटीसीए की साइंटिफिक गणना के आधार पर 308 बाघ प्रदेश में पाए गए थे। इस संख्या के साथ प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर था। कर्नाटक पहले और उत्तराखंड दूसरे नंबर पर था। इस गड़बड़ी से बचने के लिए इस बार बाघों की पगमार्क, खरोंच, बाल, उनके विभिन्न रंगों और आकारों के आधार उनकी गणना की जाएगी।
– ये हैं जोन
कान्हा, पेंच, सतुपड़ा, बांधवगढ़, पन्ना, कूनो और उज्जैन क्षेत्र शामिल हैं। (51 जिलों को शामिल हैं)
कुछ दिन पहले रातापानी और नौरादेही अभयारण्य और भोपाल के आस-पास के वन क्षेत्रों का भ्रमण करने गया था। यहां बाघों का मूमेंट ज्यादा है। पीओडब्ल्यू के क्षेत्र में बाघों के पगमार्क ज्यादा मिले हैं।
– दिलीप कुमार , अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ)