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मध्यप्रदेश को बुधवार तक का इंतजार है। इस दिन बाघ दिवस के मौके पर केंद्र सरकार जो रिपोर्ट जारी करेगी उसमें मध्यप्रदेश को तेंदुआ स्टेट (leopard state) का दर्जा मिल सकता है। मध्यप्रदेश के जंगलों से तेंदुए के जो आंकड़े सामने आए हैं वे काफी उत्साहवर्धक बताए जा रहे हैं। पिछली बार की गणना में यहां तेंदुए अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे अधिक पाए गए थे। उसी आंकलन के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में तेंदुए की तादाद अब और भी बढ़ गई है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस मौके बुधवार को बाघ दिवस के मौके पर देशभर के बाघ और तेंदुए के आंकड़े जारी करेंगे। 2014 में हुई गणना के मुताबिक देश में सबसे अधिक तेंदुए मध्य प्रदेश में पाए गए थे। उस वक्त 1817 तेंदुए मध्यप्रदेश में मिले थे। वन विभाग का भी अनुमान है कि अब इनकी संख्या बढ़कर 2200 से ज्यादा हो चुकी है। इसी के साथ ही मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट के साथ ही लेपर्ड स्टेट का दर्जा भी पा हासिल कर सकता है।
2200 के आसपास हो सकती है संख्या:-:
2014 की गणना के मुताबिक प्रदेश को तेंदुआ स्टेट का दर्जा मिला था। उस समय दूसरे स्थान पर कर्नाटक राज्य था। मध्य प्रदेश में 1817 तेंदुए पाए गए थे तो कर्नाटक में 1129 तेंदुए थे। वन विभाग का कहना है मध्य प्रदेश में तेंदुए बढ़कर 2200 हो सकते हैं। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में कितने भी तेंदुए बढ़े होंगे उनकी तादाद मध्यप्रदेश से अधिक नहीं हो सकती। यही कारण है कि मध्यप्रदेश इसमें भी नंबर वन हो सकता है।
मध्यप्रदेश में 526 बाघ :-:
मध्यप्रदेश 2006 में सर्वाधिक 300 बाघों के साथ टॉप पर था, लेकिन 2010 व 2014 की गणना में कर्नाटक और उत्तराखंड से पिछड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच गया। मध्यप्रदेश को पिछले साल फिर 526 बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है।
घड़ियाल स्टेट मध्यप्रदेश :-:
अब चंबल नदी के घड़ियालों की गिनती अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक दर्ज हुई है। अकेले चंबल नदी में ही 1255 घड़ियाल पाए गए हैं। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। वाइल्ड लाइफ के अफसरों का कहना है कि टाइगर के संरक्षण के बाद अब जलीय जीव संरक्षण और संवर्धन के मामले में भी मध्यप्रदेश को बड़ी सफलता मिली है। बताया जाता है कि चार दशक पहले घड़ियालों की संख्या खत्म होने की कगार पर पहुंच गई थी। तब दुनिया में केवल दो सौ घड़ियाल ही बचे थे। इनमें से पूरे भारत में 96 और चंबल नदी में 46 घड़ियाल ही बचे थे। चंबल नदी में इन घड़ियालों को बचाने के लिए मुरैना जिले में चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्रफल को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित कर दिया गया था। यह अभयारण्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश से लगा हुआ है। यह भी बताया जाता है कि दुनियाभर में भारत, नेपाल और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जहां घड़ियाल बचे हैं। घड़ियाल स्वच्छ और गहरे पानी में ही अपना ठिकाना बनाते है और कुनबा बढ़ाते हैं ।
12 दुर्लभ प्रजाति के पंछी :-:
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में कराए गए सर्वेक्षण में भी पंछियों की नई प्रजातियों का पता चला है। इनकी संख्या 174 है। इनमें से 12 दुर्लभ प्रजाति के हैं। इनमें एल्पाइन स्विफ्ट, यलो लेग्ड बटनक्लेव, इंडियन स्पाटेड क्रीपर, साइबेरियन रूबीथ्रोट, ब्ल्यू केप्ड रॉक थ्रश, ग्रे बुशचट और व्हाइट केप्ड बंटिंग प्रमुख हैं। देश में भी इन पंछियों की प्रजातियां बमुश्किल ही मिलती हैं। लगभग 60 लोगों की 22 टीमों ने 44 सर्वे रूट पर पंछियों का सर्वे किया।