नारायण की सियासी छटपटाहट की ये है वजह
सियासी पंडितों का कहना है कि नारायण की सियासी छटपटाहट की मूल जड़ उनके सियासी विरोधी श्रीकांत चुतर्वेदी हैं। दरअसल श्रीकांत सिंधिया कैंप के निष्ठावान सिपाही माने जाते हैं। जानकार बता रहे हैं कि श्रीकांत ने अभी से ही चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। कुलमिलाकर भाजपा से सियासी जमीन गोल होते देख नारायण के भीतर सियासी छटपटाहट का होना स्वाभाविक है। खैर नारायण त्रिपाठी कमलनाथ के भरोसे कांग्रेस में भी एंट्री की भूमिका बना चुके हैं। लेकिन यहां भी एंट्री इतनी आसान नहीं होगी। क्योंकि अजय सिंह राहुल नारायण की राह का बड़ा रोड़ा बन सकते हैं।
अलग विध्य प्रदेश का राग कितना होगा कारगर
अलग विध्य प्रदेश बनाने की मांग को लेकर नारायण त्रिपाठी हमेशा से मुखर रहे हैं। लिहाजा कयास ये भी हैं की अगर नारायण की कांग्रेस में भी दाल नहीं गली तो वो अलग दल बनाकर अपनी आगे का सियासी सफर तय कर सकते हैं। और उस दल का निर्माण भी अलग विध्य प्रदेश के मुद्दे पर ही होगा। विध्य की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार नारायण भाजपा को टक्कर देने की तैयारी करेंगे। लेकिन नारायण का ये सफर इतना आसान नहीं नजर आता। क्योंकि सूबे का सियासी मिजाज हमेशा से ही भाजपा बनाम कांग्रेस का ही रहा है। तीसरे दल का कोई खास वर्चस्व प्रदेश में कभी नहीं रहा है। ऐसे में अन्य दल की संकल्पना और सफलता नारायण के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।