लुटेरी दुल्हनों ने अपना जाल प्रदेश की राजधानी तक भी फै ला लिया है। शहर के सीमांत इलाकों सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। महिलाओं को आगे करके ऐसे गिरोह, जिले के विवाह योग्य युवकों से लेकर बड़ी उम्र के पुरुषों तक को अपना शिकार बना रहे हैं। पुलिस ने कई मामलों में ऐसे गिरोहों के सदस्यों और इनसे जुड़ी महिलाओं पर कार्रवाई की है, लेकिन इनका जाल इतना मजबूत है कि कार्रवाइयों के बाद भी रिश्ता जुड़वाने, शादी और धोखे का यह खेल बदस्तूर जारी है।
बदनामी के चलते सामने नहीं आते लोग
इस तरह के जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें अधिकतर में पकड़ाए गिरोहों ने कई लोगों को अपना शिकार बनाया, लेकिन वे एक शिकायत पर ही पकड़े गए बल्कि उनके हिरासत में आने के बाद भी कोई नया पीडि़त सामने नहीं आया। दरअसल कथित बदनामी के डर से पीडि़त युवक या परिवार सामने आना नहीं चाहते।
गिरोह का किया खुलासा
क्राइम ब्रांच ने अगस्त में शादी का झांसा देकर ठगने वाले गिरोह का खुलासा किया था। गिरोह के सदस्य दिनेश पांडे कुंवारे युवकों को फंसाता था, जिनकी शादी मंडीदीप निवासी टीना से कराई जाती थी। दुल्हन आठ-दस दिन साथ रहती फिर परिवार में किसी के बीमार होने, ऑपरेशन आदि के नाम पर मोटी रकम और जेवरात लेकर रफू चक्कर हो जाती।
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बैरसिया में भी लूटा, एक की मौत
बैरसिया में लुटेरी दुल्हन गैंग का शिकार न केवल परिवार बना बल्कि मध्यस्थ बने युवकों को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ी। बैरसिया का परिवार सात अप्रेल को मध्यस्थ युवकों को लेकर शादी के लिए पहुंचे तो मौके पर कोई नहीं मिला। लौटते समय बरात लेकर गए परिवार ने युवकों से मारपीट करते हुए उन्हें चलती जीप से फेंक दिया इसमें एक युवक की मौत हो गई। जबकि दूसरा गंभीर घायल हो गया। दुर्घटना के एक पखवाड़े बाद जब घायल युवक को होश आया तब उसने बताया कि लुटेरी दुल्हन गिरोह की वहज उन पर हमला किया गया था।
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जागरूकता जरूरी
जिन प्रदेशों में लिंगानुपात खराब रहता है वहां इस तरह के अपराध का ट्रेंड दिखाई पड़ता है, वर्तमान में प्रदेश के कुछ ग्रामीण इलाकों सहित कुछ समाजों में लिंगानुपात बिगड़ा होने के चलते विवाह योग्य कुंवारे युवकों की संख्या युवतियों के अनुपात में अधिक हुई है। ऐसे मामलों में युवक या परिवार ऐसे गिरोहों का शिकार बन जाते हैं। समाज में समानता लाने और जागरुकता बढ़ाकर ही इनका हल निकाला जा सकता है।
-कुमारी विनी, ग्रामीण क्षेत्रों एवं बस्तियों में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता