वहीं भाजपा से नाराज नेताओं के कांग्रेस में जाने की अटकलें भी जारी है। लेकिन इन सब बातों के बावजूद भाजपा ने अपनी नई रणनीति पर कार्य करना शुरू कर दिया है।
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इसके चलते पार्टी अपनी पूरानी गलतियों को इस चुनाव में दोहराने से बचने के लिए कई तरह से प्रयास करती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार ऐसे में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली पराजय का असर लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण पर पड़ सकता है।
प्रदेश में बीजेपी के फिलहाल 26 सांसद हैं इनमें से 10 के टिकट कट सकते हैं। खजुराहो के नागेंद्र सिंह, देवास के मनोहर ऊंटवाल विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। अनूप मिश्रा चुनाव हार गए हैं। सूत्रों के मुताबिक अनूप मिश्रा का टिकट भी लोकसभा चुनाव में कट सकता है।
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वह विधानसभा चुनाव हार चुके हैं इससे पहले भी उनके लोकसभा क्षेत्र में विरोध हो चुका है। वहीं, विदिशा से सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले ही स्वास्थ्य समस्यओं का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी खजुराहो, देवास और मुरैना से इस बार नए चेहरों को मैदान में उतारेगी। इसी तरह धार से सावित्री ठाकुर, खरगोन से सुभाष पटेल, भिंड से भागीरथ प्रसाद, मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते, सागर से लक्ष्मीनारायण यावद और बैतूल से ज्योति धुर्वे का भी टिकट कट सकता है।
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बताया जाता है कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर ग्वालियर सीट का फैसला छोड़ दिया गया है। जबकि उनके लिए भी परिस्थिति अनुकूल नहीं बताई गईं है। वहीं, भाजपा गुना, रतलाम और छिंदवाड़ा के लिए भी नए चेहरे की तलाश कर रही है।
इसी बीच चर्चा इस बात की भी है कि छिंदवाड़ा से शिवराज भी चुनाव लड़ सकते हैं। राजनीति के गियारों में चल रही चर्चा के अनुसार भाजपा कांग्रेस के दिग्गजों को अपने ही क्षेत्र में फंसा कर रखना चाहती है, इसी के चलते शिवराज को छिंदवाड़ा भेजा जा सकता है।
ये है रणनीति…
बताया जाता है कि भाजपा का मुख्य फोकस उन सीटों पर है जो विधानसभा चुनाव में कम अंतर से हारी है। सूत्रों के मुताबिक आलाकमान ने जो सर्वे लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सांसदों की स्थिति जानने के लिए करवाया है, उसके मुताबिक खराब स्थिति वाले सांसदों का टिकट कट सकता है।