सनातन परम्परा अनुसार मृतक के अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन के बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन इन दिनों कई मृतकों की अस्थियां विसर्जन की बांट जोह रही है। शमशान घाटों में सुरक्षा व्यवस्था के बीच मृतकों के अंतिम संस्कार तो हो रहे हैं, लेकिन परिजनों को मृतकों की अस्थि विसर्जन करवाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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ऐसे में शहर के श्मशान घाटों में अस्थि कलशों की संख्या बढ़ गई है। मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने के बाद हिन्दू रीति से अस्थियों का विसर्जन किया जाता है। राजधानी अस्थि विसर्जन के लिए लोग होशंगाबाद, हरिद्वार, इलाहबाद सहित अन्य तीर्थों पर नदियों के किनारें पहुंचते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण रास्ते बंद हैं। लोग न तो पिंडदान करा पा रहे हैं, न ही अस्थि विसर्जन।
थोड़ी सी राहत, हो गई हैं 9 अलमारियां
भदभदा विश्राम घाट में पिछले आठ दिनों से औसतन 80 से 100 के बीच अंतिम संस्कार रोजाना हो रहे हैं। ऐसे में लॉकडाउन होने के कारण लोग अस्थि विसर्जन नहीं करवा पा रहे हैं। यहां अस्थि कलश की संख्या भी बढ़ती जा रही है। विश्राम घाट के यहां पांच आलमारियां मंगाई हैं। पहले सचिव ममतेश शर्मा ने बताया कि चार आलमारियां थी। इस तरह अब विश्राम घाट में 450 अस्थि कलश 9 आलमारियां हो गई हैं।
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क्या कहते हैं अध्यक्ष
भदभदा विश्राम घाट के अध्यक्ष अरुण चौधरी का कहना है कि विश्राम घाट में कई अस्थि कलश सुरक्षित रखे हुए हैं। इन दिनों सब बंद है, इसलिए परिजन अस्थि कलश को विसर्जन के लिए लेकर भी नहीं जा पा रहे हैं। हम परिजनों से यहीं निवेदन कर रहे हैं। कि जैसे ही आवाजाही शुरू हो उसके बाद अस्थि विसर्जन के लिए अस्थि कलश ले जाए।