मालूम हो कि मौजूदा एनआईएचएसएडी लैब तकनीक के मामले में एशिया में पहले और दुनिया में छठवें पायदान पर है। अपने निर्माण के समय यह लैब बायो सेफ्टी लेबल (बीएसएल-4) थी लेकिन बाद में मानक और कड़े होने से यह लैब बीएसएल-3.5 हो गई। अब नई लैब को बीएसएल-4 मानक के अनुरूप तैयार किया जाएगा।
75 फीसदी बीमारियां जानवरों से उत्पन्न भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक पशु रोग डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि मौजूदा समय में जो बीमारियां है उनमें से 60 फीसदी की उत्पत्ति जानवरों या पक्षियों से हुई है। वहीं आगे जो नई बीमारी आएंगी उनमें से 75 फीसदी जानवरों से ही उत्पन्न होंगी। ऐसे में अगर वायरस को इसी स्तर पर रोक लिया जाए तो मानव के लिए बहुत बड़ी सुरक्षा हो सकेगी।
22 साल से लगातार कर रहा काम उन्होंने बताया कि मौजूदा लैब 22 साल से दिनरात लगातार काम कर रही है। यहां देश ही नहीं बल्कि सात देशों से सैंपल जांच के लिए आते हैं। ऐसे में नई लैब की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है।