दरअसल, कुछ दिन पहले सुमित्रा महाजन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा थआ कि हेमंत करकरे की मौत ऑन ड्यूटी हुई थी, इसलिए वे शहीद हैं। लेकिन एटीएस चीफ की भूमिका पर सवाल तो उठेगा ही। ताई ने उस इंटरव्यू में कहा था कि एक पुलिस अधिकारी के तौर पर उनकी भूमिका सही नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा था कि हमने सुना है कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह उनके मित्र हुआ करते थे। हालांकि ताई ने कहा कि इससे संबंधित उनके पास कोई सबूत नहीं है।
वहीं, साध्वी से मुलाकात के बाद जब हेमंत करकरे पर सुमित्रा महाजन से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एक बात मैं आपको बता दूं, आपलोगों को जिस तरह का इंटरव्यू चाहिए, वो मैं यहां नहीं दे सकती। ताई ने कहा कि मेरी प्रकृति अलग है, वो इंटरव्यू एक घंटे का था और सिर्फ दिलीप पाटीदार की बात नहीं है, इंदौर के 5-6 लोगों की बात थी। इसीलिए मैंने कहा है कि वो जो हुआ है, मैंने उसका जवाब मांगा था, मैंने किसी को न दोषी ठहराया और न ही आरोप लगाया। हमारे इंदौर के लोग थे मैंने प्रश्न किया?
इसके साथ ही ताई ने साध्वी प्रज्ञा को जीत का आर्शीवाद दिया है। साथ ही इंदौर चुनाव को लेकर कहा कि शंकर लालवानी को भारी जन समर्थन मिल रहा है। लेकिन करकरे के सवाल पर वो कोई जवाब नहीं दी।