ये है मामला..
दरअसल रतलाम में ज्ञापन सौंपने पहुंची छात्राओं के धूप में बेहोश होने की घटना के बाद रतलाम कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के ज्ञापन न लेने आने पर सवाल उठ रहे थे। इस घटना के कुछ घंटों बाद ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम की ओर से एक ऐसा अजीब आदेश जारी किया गया जिसे लेकर विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है।
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने आदेश जारी किया है कि अब बगैर पूर्व सूचना के कोई भी व्यक्ति या संगठन व संस्था ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट में नहीं आ पाएंगे। अगर किसी को कलेक्ट्रेट में आकर अगर ज्ञापन सौंपना है तो पूर्व में सूचित करना होगा। साथ ही ये भी कहा गया है कि बिना सूचना के कलेक्ट्रेट में लोग या संस्थाएं भीड़ लेकर ज्ञापन देने पहुंच जाते हैं जिससे शासकीय कार्य में व्यवधान पैदा होता है और कानून व्यवस्था की स्थिति बनती है।
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सीएम से मिलना आसान, कलेक्टर से मुश्किल
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम की ओर से जारी किए गए इस आदेश से साफ है कि अब अगर किसी शख्स या संस्था को कलेक्टर से मिलना है तो पहले मिलने की परमीशन लेनी होगी। यानि अगर आप अपनी समस्या लेकर कलेक्टर के पास जाना चाहते हैं तो पहले अपॉइनमेंट लेना होगा। आपको अपॉइनमेंट मिला तो आप अपनी समस्या बता पाएंगे वरना नहीं। बता दें कि अपनी समस्या को लेकर जनप्रतिधिन या फिर अधिकारियों से मिलने के लिए जनता को किसी परमीशन की आवश्यकता नहीं लेनी पड़ती है, यहां तक सीएम हाउस में भी सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद ही समस्या लेकर आने वाले लोगों से मिलते हैं। सभाओं व रैलियों के दौरान भी सीएम शिवराज खुद ही आम लोगों के बीच जाते हैं और उनकी समस्याएं जानते हैं।
वर्जन..
लोकसेवक को आसानी से उपलब्ध होना चाहिए जिससे कि आम नागरिक आसानी से उनसे जाकर मिल सकें और अपनी समस्याएं उन तक पहुंचा सकें। रतलाम कलेक्टर की ओर से निकाला गया आदेश सही नहीं है ।
निर्मला बुच, सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव, मप्र. शासन
देखें वीडियो- कलेक्टर की बेदर्दी छात्रा पर पड़ी भारी