34 साल पहले मिला था राज्य पक्षी का स्थान
दूधराज या सुल्ताना बुलबुल पक्षी को मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी घोषित हुए 34 साल बीत चुके हैं। साल 1985 में इसे मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी घोषित किया गया था। हालांकि, विडंबना ये है कि, जैसा इस पक्षी का प्रदेश में रुतबा है, वैसी इसके संरक्षण की व्यवस्थाएं प्रदेश में नहीं की जा रहीं। कई बार इसके संरक्षण को लेकर सवाल भी उठ चुके हैं, लेकिन नतीजा ये है कि, अब तक राज्य सरकार से लेकर वनविभाग के पास इसकी कुल संख्या का आंकलन भी नहीं है। राज्यपक्षी होने के बावजूद सरकार और विभाग दोनो ही इसके संरक्षण पर खास ध्यान नहीं दे रहे हैं। पक्षी प्रेमियों का मानना है कि, अकसर ये पक्षी
वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संकटाग्रस्त प्रजातियों की सूची में दूधराज को कम चिंता वाले पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि पक्षी प्रेमी बताते हैं कि यह पक्षी आमतौर पर म प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क, अभयारण्य) में देखने को मिल जाते है, लेकिन बहुत मुश्किल से, इसलिए ये कहना भी उचित नहीं होगा कि यह प्रजाति पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए प्रदेश सरकार को इसे राज्य पक्षी होने के कारण पूर्ण संरक्षण देने की ज़रूरत है।
आकार में ऐसा होता दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल का जोड़ा
सामान्य तौर पर दूधराज पक्षी या सुल्ताना बुलबुल 18 से 22 सेंटीमीटर तक का होता है। नर दूधराज पक्षी की पूंछ 20 से 24 सेंटीमीटर लंबी होती है, इसकी पूंछ में दो 30 सेंटीमीटर लंबे पंख भी निकले रहते हैं। एक व्यस्क दूधराज पक्षी के पंखों का फैलाव 86 सेंटीमीटर से 92 सेंटीमीटर तक होता है। आपको बता दें कि, पक्षियों की प्रजाति में सिर्फ दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल की पूछ ही उसके शरीर की लंबाई से चार गुना तक लंबी होती है। वहीं, बात करें मादा दूधराज पक्षी की तो ये ज्यादा से ज्यादा 20 सेंटीमीटर लंबी होती है। हालांकि, इसकी लंबी पूछ नहीं होती। इसकी पूंछ लगभग इसके शरीर के समान होती है।
नर पक्षी का सौंदर्य दर्शन
आश्चर्यजनक रूप से नर दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल के दो रूप देखने को मिलते हैं, एक प्रकार के नर की पीठ पर लाल भूरे रंग के पंख पाए जाते हैं इसकी लंबी पूछ भी लाल भूरे और हलके केसरिया रंग लिए हुए होती है जबकि दूसरे प्रकार का नर मटमैला सफेद और हल्का ग्रे रंग का होता है, दोनों ही प्रकार के नर के सिर का रंग चमकीला काला होता है इनके पैर इनके शरीर के अनुरूप काफी छोटे होते हैं। इनकी चोंच छोटी और गोल पतली होती है, जिसका रंग गहरा नीला और काला होता है, इनकी आंखें काली और आंखों के आसपास गहरे नीले काले रंग की रिंग होती है, दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल को इसकी लंबी पूंछ जिसमें दो पंख निकले होते हैं, जो अन्य पक्षियों से इन्हें अलग पहचान दिलाते हैं।
मादा पक्षी का सौंदर्य दर्शन
मादा दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल का सर पूरी तरह नर की तरह चमकीला काले रंग का होता है। इसके शरीर का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरा लाल कैसरिया होता है। इसके शरीर का निचला हिस्सा मटमैला सफेद और ग्रे रंग का होता है। इसकी पूछ नर की पूछ के मुकाबले काफी छोटी होती है।
इन स्थानों पर करता है निवास
मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी होने के बावजूद दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल यहां बहुत कम ही पाया जाता है। हालांकि, भारत के अलावा श्रीलंका, तुर्किस्तान, मंचूरिया, मलेशिया तथा सुंबा और अलव द्वीपों में इसकी घनी आबादी वास करती है। दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसकी मूल प्रजाति पाई जाती है। तथा सर्दियों के दिन में प्रवासी प्रजाति भी यहां पर आ जाती है। ये पक्षी अकसर घने जंगलों में रहना पसंद करता है। व्यवहारिक तौर पर देखें तो ये काफी शोर करने वाला पक्षी है। इसकी आवाज में काफी तीखापन होता है, जिससे ‘चे चे’ या ‘ज्वीट ज्वीट’ जैसे स्वर निकलता है। अंग्रेजी में पुकारे जाने वाले इसके नाम से ही ये साफ हो जाता है कि, ये कीट पतंगे खाने वाला पक्षी है। ये मुख्य रूप से कीट पतंगे, तितलियां और मक्खियां खाना पसंद करता है।
दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल का प्रजनन काल
इस खूबसूरत पक्षी का प्रजनन काल मार्च से जुलाई के बीच होता है। इससे पहले ये सर्दियों से ही अपना घोंसला तिनकों और पेड़ों की छोटी-छोटी टहनियों से मिलकर बनाना शुरु कर देते हैं। आमतौर पर ये किसी मज़बूत पेड़ की टेहनी पर अपना घोसला बनाना पसंद करते हैं। नर और मादा दोनों मिलकर घोसला तैयार करते हैं, मादा दूधराज पक्षी एक बार में 3 से 5 अंडे देती है, इन अंडो का रंग हल्का पीला गुलाबी और भूरा लाल होता है, माता इन अंडो को 14 से 18 दिन तक सेती है। मुख्य रूप से प्रवासी दौर में मध्य प्रदेश आने वाले इन पक्षियों के लिए यहां के घने जंगलों में इस पक्षी के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं। ये संरक्षित क्षेत्र प्रदेश के चोरल, कजलीगढ़, सिमरोल, मानपुर और महू हैं।
दूधराज के बारे में खास बातें
-दूधराज पक्षी सुल्तान बुलबुल जीवनभर एक बार में सिर्फ एक ही मादा से जोड़ा बनाकर रखता है। इसके इस व्यवहार को मोनोगेमस (monogamous) कहा जाता है।
-दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत सबसे कम चिंता रखने वाले प्राणियों की सूची में शामिल किया गया है।