वन विभाग, ग्राम वन समिति और बांस उत्पादक स्व-सहायता समूह के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध होगा। उल्लेख होगा कि, खेती करने वाली वनभूमि पर समूह का कोई अधिकार नहीं होगा। वो सिर्फ बांस का उत्पादन करेंगे। बांस विक्रय से मिलने वाली राशि पर पूरा अधिकार उस परिवार का होगा, जो शुरुआत से देखरेख कर रहा है। बिक्री की राशि में से 20 फीसदी समिति के खाते में जाएगी। शेष राशि परिवार का मुनाफा होगी।
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एक परिवार को एक हेक्टेयर वन भूमि
एक परिवार हो एक हेक्टेयर भूमि बांस की खेती करने के लिए दी जाएगी। बांस मिशन का अनुमान है कि, एक हेक्टेयर में करीब साढ़े 600 से ज्यादा बांस लगाए जा सकते हैं। बताया जाता है कि, एक बांस की कीमत थोक में 50 से 100 रुपए तक होती है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार?
मध्य प्रदेश बांस मिशन के प्रबंध संचालक यू.के सुबुद्धि का कहना है कि, उजड़े वनों में बांस लगाने की योजना है। योजना को मनरेगा से जोड़ा है। वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए यह आय का बड़ा जरिया होगा।
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