भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस और एटीएस द्वारा मार गिराए गए सिमी के आठों आतंकी मामूली अपराधी नहीं थे। महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश तक उधर ओडिशा से आंध्र प्रदेश तक पिछले तीन वर्षों के दौरान हुई तमाम साजिशों में इनका सीधा हाथ था चाहे वो बिजनौर ब्लास्ट का मामला हो चाहे चेन्नई सेन्ट्रल स्टेशन पर बंगलुरू-गुवाहाटी ट्रेन में विस्फोट करने का या पुणे के दो थानों में हुए बम ब्लास्ट का।
इन सबने आतंकी संगठन अल कायदा की पत्रिका इंस्पायर से सिलेंंडर बम बनाना सीखा था। ओसामा बिन लादेन को ये अपना ‘गुरु’ उत्तर प्रदेश के बिजनौर में मेहबूब, जाकिर अमजद आदि सिलेंडर बम ही बना रहे थे जब उसमे विस्फोट हो गया। यह आतंकी मुजफ्फरनगर दंगे का बदला लेने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वार्षिक कार्यक्रम में विस्फोट की योजना बना रहे थे।
मारे गए आतंकियों में से शेख मेहबूब, अमजद खान और जाकिर हुसैन पहले एक अक्टूबर 2013 को खंडवा जेल तोड़ कर फरार हो चुके थे। इनकी खोजबीन के लिए 17 राज्यों की पुलिस खाक छान रही थी अन्तत: इन तीनो को आईबी, ओडिशा स्पेशल आपरेशन और तेलंगाना पुलिस ने इसी साल 17 फरवरी को राउरकेला से गिरफ्तार किया था इनके साथ मेहबूब की मां नजमा बी और मोहम्मद सलेक को भी गिरफ्तार किया गया था। राउरकेला के आईजी आरके शमा ने पत्रिका को बताया कि अभी मेहबूब की मां राउरकेला जेल में ही बंद है।
पूछताछ में यह पता चला था कि गिरफ्तारी से पहले यह आतंकी छत्तीसगढ़ के चांपा में एक बैंक को लूटने की साजिश रच रहे थे। जिसका पैसा सिंहस्थ कुंभ में किसी आतंकी घटना को अंजाम में किया जाना था। गौरतलब है कि एनआईए ने इन पर 10-10 लाख का इनाम भी घोषित किया था।
हांलाकि उसे अंजाम देने से पहले इनकी गिरफ्तारी हो गई। बंगलुरु-गुवाहाटी एक्सप्रेस में इन लोगों ने इसलिए विस्फोट किया था क्योंकि आसाम में बोडो आतंकियों ने 30 मुसलामानों को मार दिया था तो पुणे में थाने में आईईडी से ब्लास्ट इसलिए दिया क्योंकि इसके बहाने वो पूर्व में हुए एक एंकाउंटर का बदला ले रहे थे।
आईएसआई से थी नजदीकी
खंडवा जेल से फरारी के बाद मेहबूब और उसके साथी पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई के लगातार संपर्क में थे। खंडवा जेल से फरारी के बाद मेहबूब और आईएसआई के बीच हुई एक बातचीत को आईबी ने इंटरसेप्ट किया था जिसमे मेहबूब को कहते सुना गया था कि” उन लोगों को अच्छा प्रोजेक्ट दिया है कुछ दिन इन्तजार करो
बैंक लूटने के मास्टर थे
आतंकी बैंक लूटने और बम बनाने के काम में सिद्धस्त थे ओडिशा के चोपादंडी में स्टेट बैंक की ब्रांच से 46 लाख रुपयों की लूट में मेहबूब और उसके साथियों का ही हाथ था इसके अलावा तेलंगाना के करीमनगर और ओडिशा के ही सुंदरगढ़ में हुई बैंक लूट में इनका नाम आया था। ये लूटे गए धन को “माल-ए-गनीमत” कहा करते थे जिसका उपयोग आतंकी गतिविधियों में किया जाना था।
मेहबूब ने खंडवा जेल से फरारी के बाद बिजनौर में शरण ली थी। जहां बम बनाने के दौरान हुए विस्फोट में वो बुरी तरह से घायल हो गया था। इसके पहले की यूपी एटीएस मेहबूब और उसके साथियों की गिरफ्तारी कर पाती यह सब बिजनौर से फरार हो गए।
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