scriptशोध में चौंकाने वाला खुलासा : डायनासोर के मल में मिला चावल,…तो खोखला साबित होगा चीन का दावा | Shocking revelation in research rice residue found in dinosaur faeces | Patrika News
भोपाल

शोध में चौंकाने वाला खुलासा : डायनासोर के मल में मिला चावल,…तो खोखला साबित होगा चीन का दावा

शोध के दौरान डायनासोर के कोप्रोलाइट (डायनासोर के मल के जिवाश्म) से पता चला कि, भारत की भूमि पर करीब 6.5 करोड़ साल पहले भी एक प्रकार का चावल मौजूद था।

भोपालJan 10, 2023 / 08:18 pm

Faiz

News

शोध में चौंकाने वाला खुलासा : डायनासोर के मल में मिला चावल,…तो खोखला साबित होगा चीन का दावा

मौजूदा समय में चावल का दुनियाभर में सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन को माना जाता है। भारत को विश्व का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। ये बात तो क्षेत्रफल के आधार पर मानना स्वभाविक सी बात है। लेकिन, चीन की ओर से ये भी दावा किया जाता है कि, वो ही दुनिया का पहला देश है, जिसने सबसे पहले चावल की पैदावार और खोज शुरु की है। लेकिन, भारत भी अपने इतिहास के आधार पर चावल की हकदारी का दावा करता रहा है। इसी बात को लेकर हमेशा से वैज्ञानिकों के बीच ये सवाल खड़े होते रहे हैं कि, आखिर भारत में चावल की पैदावार कितनी पुरानी है ?

 

इस असमंजस में एक बार फिर इस बात को बल मिल गया, जब एक शोध के दौरान डायनासोर के कोप्रोलाइट (डायनासोर के मल के जिवाश्म) से पता चला कि, भारत की भूमि पर करीब 6.5 करोड़ साल पहले भी एक प्रकार का चावल मौजूद था।

 

यह भी पढ़ें- भालू फैमिली की सड़क पर ऐसी मस्ती नहीं देखी होगी आपने, रोमांचित कर देगा वीडियो

 

कहां से मिला है डायनासोर का मल

खास बात ये है कि, शोधकर्ताओं के डायनासोर का ये मल भारत का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे पर बसे बाग नामक इलाके में मिला था। इससे पहले के शोध में ये भी सामने आ चुका है कि, नर्मदा तट से लगे क्षेत्र में करोड़ों साल पहले डायनासोर की बाहुल्य आबादी रहा करती थी। इसी बीच सामन आए नए शोध के खुलासे में पता चला है कि, करीब 6.5 करोड़ साल पहले भारत में जंगली चावल भी पैदा हुआ करता था। वहीं, मौजूदा समय में जो चावल खाने में इस्तेमाल होता है,वो 15 हजार साल पुराना है।

चावल के इस ऐतिहासिक इतिहास के बारे में डायनासोर के उस भोजन से पता चला है, जो उसके खाने के बाद पेट में पच नहीं पाया था और शायद उससे पहले ही उसकी मौत हो गई होगी। इस ससंबंध में एक्सपर्ट विशाल वर्मा का कहना है कि, मध्य प्रदेश का बाग ऐसे स्थान में शुमार है, जहां से डायनासोर से जुड़े कई तथ्यों का खुलासा होता है। इस इलाके में शोध करने वाले कई बार बाग की सैर कर चुके हैं। बताया जाता है कि, पिछले महीने दिल्ली और लखनऊ के जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई) से जुड़े अधिकारी भी यहां जांच के लिए भ्रमण पर आए थे।

 

यह भी पढ़ें- पति की नाइट ड्यूटी से नाराज पत्नी ने नहर में लगाई छलांग, 36 घंटे बाद इस हाल में मिली लाश


चावल के असल इतिहास का होगा खुलासा

डायनासोर का मल अर्थात कोप्रोलाइट के शोध के दौरान कई रहस्यों से पर्दा उठ रहा है। चीन अभी तक दावा करता रहा है कि, वो चावल उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया का सबसे पहला देश है। लेकिन, अब चावल के इतिहास के रहस्य से कोपरोलाइट का शोध पर्दा उठा रहा है। एक्सपर्ट विशाल वर्मा ने ये भी कहा कि, कोप्रोलाइट का मिलना भी आसान बात नहीं है। कोपरोलाईट से वनस्पति समेत अन्य विषय के बारे में भी जानकारियां सामने आ रही हैं।

 

मंडला के पास मिले जीवाश्म

मध्य प्रदेश के मंडला के पास यूकेलिप्टस, रुद्राक्ष, केले, जामुन आदि के फॉसिल्स (जीवाश्म) मिले हैं। जीवाश्म के शोध के बाद कई तरह के रहस्यों का खुलासा हो रहा है। शोध के दौरान ये भी जानकारी सामने आई है कि, फ्लोरिंग प्लांट का युग काफी बाद शुरु हुआ था। पहले धरती पर अलग तरह के जंगल और पेड़ – वनस्पति हुआ करते थे।

 

यूरिया से भरी पिकअप वाहन पलटा, देखें वीडियो

https://youtu.be/gjqafusWLH8

Hindi News / Bhopal / शोध में चौंकाने वाला खुलासा : डायनासोर के मल में मिला चावल,…तो खोखला साबित होगा चीन का दावा

ट्रेंडिंग वीडियो