रिपोर्ट का कहना है कि उपरी स्तर पर सरकार का चेहरा बदलने की जरूरत है। इसमें मंत्रियों से लेकर सरकार के बड़े अफसर तक शामिल हैं। इस रिपोर्ट में सात अफसरों के बारे में कहा गया है। कहा गया है कि यह सात अफसर ही सत्ता का केंद्र हैं। हालांकि रिपोर्ट ने साफ कहा है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा है। यहां पर मोदी के नाम पर भाजपा को उतना फायदा नहीं होगा, जितना शिवराज के नाम पर होता है।
रिपोर्ट ने एक बात पूरी तरह से कही है कि मध्यप्रदेश में भाजपा का कार्यकर्ता अपनी सरकार और संगठन दोनों से नाराज है। पार्टी के कार्यक्रमों से लेकर चुनाव तक में वह पूरी ताकत से नहीं जुट रहा है। कार्यकर्ता असंतुष्ट ही नहीं सरकार और संगठन से नाराज हैं। जिसके चलते सरकारी और संगठन के कार्यक्रम से कार्यकर्ता दूरी बना रहा हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी आपसी लड़ाई में उलझे हुए हैं। चुनिन्दा नेता और पदाधिकारी सरकार की मलाई जमकर खा रहे हैं। जिसके चलते आमजन के बीच पार्टी का पक्ष नहीं रखा जा रहा हैं।
सूत्रों का दावा है कि अटेर, चित्रकूट विधानसभा उप चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कारण जानने का प्रयास शुरू हो गया है। यही वजह है कि संगठन, सत्ता और आईबी, तीनों जगहों से अलग—अलग रिपोर्ट मांगी गई थी। सत्ता और संगठन ने भी अपने कारण दिए थे, लेकिन आईबी की रिपोर्ट ने इन दोनों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। वैसे, मध्यप्रदेश में लगातार भाजपा की हार ने पार्टी को सकते में ला दिया है। यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष बदलने की वकालत हो रही है। बड़े अफसरों के अभी हाल ही में विभाग बदले गए। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में एक बार फिर से बड़ी प्रशासनिक सर्जरी हो सकती है।
रिपोर्ट के बाद भाजपा के भीतर एक पूरे मेकओवर की तैयारी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि सत्ता और संगठन में एक साथ मेकओवर किया जाएगा। कुछ मंत्रियों को परफोर्मेंस के नाम पर बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, जबकि कुछ को जोड़ा जाएगा। कुछ अफसरों पर भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है। उनके विभाग वापस लिए जा सकते हैं, जबकि कुछ अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। सरकार खुद के मेकओवर की पूरी तैयारी कर रही है। संभव है कि इस मेकओवर की गाज मुख्यसचिव तक भी पहुंच जाए।