भोपाल। देश के कुछ राज्यों के बाद अब मध्य प्रदेश में स्क्रब टाइफस के संदिग्ध मरीज मिल रहे हैं। अस्पतालों में डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू के साथ-साथ स्क्रब टाइफस बीमारी के लक्षणों पर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा निगरानी की जा रही है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में दिशा निर्देश दिए हैं, साथ ही एहतियात बरतने के लिए कहा गया है। एक हफ्ते के भीतर यदि बीमारी का पता लग जाए तो उसका इलाज किया जा सकता है। वरना कई सारी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। यह मल्टीपल आर्गन डैमेज कर सकती है जिससे मौत भी हो सकती है। यह बीमारी हिमालयी क्षेत्रों, शिमला, असम और पश्चिम बंगाल के लोगों में आम पाई जाती है। हिमाचल में तो इससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।
ओपीडी में आने वाले मरीजों की भी निगरानी की जा रही है। एमपी के अलग-अलग स्थानों से पिछले छह माह में इस तरह के पांच संदिग्ध मरीज मिले हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को प्रदेश भर में दिशा निर्देश जारी कर दिए थे। अस्पतालों में आने वाले मरीजों की निगरानी की जा रही है। इधर मौसम में हुए बदलाव के बाद शहर के अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अस्पतालों में ओपीडी मरीज 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य अमला अलर्ट
स्क्रब टाइफस जंगली घास और चूहों में पाए जाने वाले पिस्सु से फैलता है। इस बीमारी का बैक्टीरिया पिस्सु की लार में पाया जाता है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग ने शहर के बाहरी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी अलर्ट किया है कि वे इसकी निगरानी रखे, साथ ही शहरी क्षेत्रों के गोदामों में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरुरी एहतियात बरतने की सलाह लोगों को दी जाएगी। लिहाजा शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों और मैदानी इलाकों में जहां घास अधिक है, उन क्षेत्रों में इसके फैलने का खतरा अधिक है।
अभी देश में ये स्थिति
अब तक पहाड़ों की बीमारी समझी जाने वाली स्क्रब टाइफस अब मैदानी इलाकों में भी तेजी से पांव पसार रही है। पीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी लैब में ढाई महीने में 186 पाजिटिव केस सामने आए हैं। इसमें चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और दिल्ली के केस शामिल हैं। खास बात यह है कि चंडीगढ़ में भी इसकी दस्तक हो गई है। पहली बार चंडीगढ़ से दो पाजिटिव मरीजों की पुष्टि हुई है।
इनका कहना है…
– भोपाल में कोई पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। जो गाइडलाइन है,उसके आधार पर जरूरी दिशा निर्देश अस्पतालों में जारी कर दिए गए हैं। खतरे जैसी कोई बात नहीं है, इसके लिए पर्याप्त दवाएं भी अस्पताल में मौजूद है।
– डॉ. वीणा सिन्हा, सीएमएचओ, भोपाल
यह बीमारी पिस्सु लार्वा में संक्रमण के कारण होती है, खासकर जिस जगह पर पिस्सु कांटता है, वहां फोड़ा जैसा हो जाता है, इसका इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है, लापरवाही बरती, तो खतरा हो सकता है।
– डॉ. केएल साहू, संचालक स्वास्थ्य
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