दरअसल साल 2020 और फिर वर्ष 2021 में भी दो महीने से ज्यादा लॉकडाउन से सराकर का राजस्व लगभग ठप रहा इसलिए अब सरकार आर्थिक हालात संभालने कटौती के रास्ते तलाश रही है। पहले 21 हजार करोड से ज्यादा की बिजली की सब्सिडी को कम करना तय हुआ। अन्य योजनाओं पर भी नजर है।
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दूसरी योजनाओं में भी लाभ के दायरे को वास्तविक हितग्राहियों तक सीमित करने के कदम उठाने की तैयारी है। इसमें विद्यार्थियों के लिए लेपटॉप, खेती के लिए दिया जाने वाला अनुदान, उद्यानिकी फसलों का अनुदान, उद्योग के लिए मिलने वाला अनुदान सहित अन्य हर प्रकार की योजनाओं की स्कूटनी की जानी है। इसमें से जिन योजनाओं में काफी सब्सिडी जाती है, उसमें कटौती की जाएगी।
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यानी आयकर चुकाने बाले वर्ग को सरकारी हितग्राहियों के दायरे से बाहर किया जा सकता है। वोट बैंक की दृष्टि से मुफ्त राशन जैसी स्कीम जरूर इससे अलग रखी जाएगी। साथ ही कोरोना के कारण भोजन की दिक्कत को दूर करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं।
राजस्व बढ़ाने को कोशिश
कटोती के अलावा राजस्व बढ़ाने के प्रयास भी सरकार कर रही है उसका मानना है कि दोहरे प्रयास से ही आर्थिक स्थिति संभल सकती है। उसके तहत राजस्व बढ़ने मंत्री समूह भी गठित है, जो प्रदेश के ससाधनों के जरिए राजस्व बडाने का सुझाव दे चुका है। यानी देश के खनिज, पर्यावरण, पर्यटन, सरकारी खाली पड़ी जमीन और सरकारी भवनों को कमर्शियल मोड पर लाकर काम होगा।