‘ऊं’ वैली में एक हजार साल पहले कैसे स्थापित हुआ भोजपुर का शिव मंदिर, वैज्ञानिक भी कर चुके हैं रिसर्च
Sawan 2024 Date: सावन 2024 के मौके पर patrika.com आपको बता रहा है अनोखे और दिलचस्प शिवालयों के बारे में…। इसी कड़ी में देखें भोजपुर के शिव मंदिर के बारे में ये तथ्य…।
Sawan 2024: दुनिया के सबसे बड़े प्राचीन शिवलिंग में से एक मध्यप्रदेश के भोपाल के पास भोजपुर में है। भोजेश्वर शिव मंदिर (Bhojpur Shiva Temple) के नाम से लोग इसे जानते हैं और यह विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक रात में बनाया गया था। कहीं यह भी उल्लेख मिलता है कि पांडवों ने इसे बनाया था। जबकि यह एक हजार साल पहले राजाभोज (raja bhoj) की ओर से बनाने के भी तथ्य मिलते हैं।
इसमें भी सबसे खास बात यह है कि शिवलिंग जिस लोकेशन पर स्थित है उसके आसपास ऊं आकार की पहाड़ी है। यानी ओम वैली के बीच में यह शिवलिंग स्थापित है। वैज्ञानिकों ने भी दावा किया था कि यह हजारों साल पुरानी एक ओमवैली (om valley bhopal) है, जिसके बीच में भोजपुर का शिवालय बना है।
सावन के मौके पर patrika.com आपको बता रहा है अनोखे और दिलचस्प शिवालयों के बारे में…। इसी कड़ी में देखें भोजपुर के शिव मंदिर के बारे में ये तथ्य…। सावन 2024 सोमवार 22 जुलाई से शुरू होगा और सोमवार 19 अगस्त को खत्म होगा।
भोपाल से करीब 29 किलोमीटर दूर स्थित रायसेन जिले में भोजपुर है। यहीं पर भोजेश्वर मंदिर है। इसके बारे में सभी की जिज्ञासा बनी रहती है। आस्था का केंद्र होने के साथ ही इसे मध्य भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भोजपुर शिव मंदिर ऐसी जगह पर बना है, जिसे सैटेलाइट से देखते हैं तो ओम (ऊं) आकार नजर आता है। इसे ओम वैली नाम दिया गया है। ओम वैली के बीच में भोजेश्वर शिवलिंग है। जबकि उसके एक सिरे पर बसा है भोपाल। भूगोल के जानकार कहते हैं कि बोपाल शहर स्वास्तिक के आकार में राजाभोज ने बसाया था।
मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिकों ने भी ठीक उसी समय का ओम वैली का डाटा लिया था, जिस समय सेटेलाइट रिसोर्स सेट -2 भोपाल शहर की रेंज को कवर करता है। इसी की मदद से कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने भोपाल के साथ ही भोजपुर और ओम वैली की संरचना से जुड़ा डाटा कलेक्ट किया था।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के मुताबिक हर 24 दिनों के अंतराल पर ये सेटेलाइट भोपाल शहर के ऊपर से गुजरता है। दो साल पहले जब ऐसे ही सेटेलाइट से जब इन इलाकों को देखा जा रहा था तो वैज्ञानिकों को ओम वैली नजर आई थी। आसमान से दिखाई देने वाली ॐ वैली के ठीक मध्य में 1000 वर्ष प्राचीन भोजपुर का शिवमंदिर स्थापित है। परिषद की सैटेलाइट इमेज से ‘ॐ’ वैली के आसपास पुराने भोपाल की बसाहट और एकदम केंद्र में भोजपुर के मंदिर की स्थिति स्पष्ट हुई है।
परिषद के वैज्ञानिक बताते हैं कि डाटा केलिबरेशन और वैलिडेशन के लिए हमें ठीक उस समय ओम वैली का ग्राउंड डाटा लेना पड़ता है, जिस वक्त सैटेलाइट (रिसोर्स सेट-2) भोपाल के ऊपर से गुजरता है। यह सैटेलाइट 24 दिनों के अंतराल पर भोपाल के ऊपर से गुजरता है। इसी से भोपाल और उसके आसपास की जमीनों की तस्वीरें ली जाती हैं।
स्वास्तिक के आकार में बसा है भोपाल
Bhojpur Shiva Temple – A Must See Places Near Bhopal: इतिहासकारों कहते हैं कि राजा भोज कई विषयों के जानकार थे। भाषा, नाटक, वास्तु, व्याकरण सहित अनेक सब्जेक्ट पर 60 से अधिक किताबें भी लिख चुके थे। वास्तु पर लिखी समरांगण सूत्रधार के आधार पर ही भोपाल शहर बसाया गया था। गूगल मैप से वह डिजाइन आज भी वैसी ही नजर आती है।
परमार राजा भोज के काल में ग्राउंड मैपिंग किस तरह से की जाती थी, इसके लिखित साक्ष्य मौजूद नहीं हैं, लेकिन यह रिसर्च का विषय भी है। सैटेलाइट इमेज से यह काफी साफ है कि राजा ने जो शिव मंदिर बनवाया, वह इस ओम की आकृति के बीच में है।
ओंकारेश्वर भी है एक उदाहरण
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आर्कियोलॉजिस्ट्स का मानना है कि ओम की संरचना और शिव मंदिर का रिश्ता अति प्राचीन है। देश में जहां कहीं भी शिव मंदिर हैं, उनके आसपास के ओम की संरचना जरूरी मिलती है। इसका सबसे नजदीकी उदाहरण है खंडवा जिले का ओंकारेश्वर शिवलिंग (omkareshwar jyotirlinga)। यहां भी ऊं आकार की वैली (om valley) है।
(sawan shivratri 2024 date and time: सावन 2024 माह शुरू होने वाला है, इस मौके पर आप शिवालयों से जुड़ी अनेक दिलचस्प स्टोरी पत्रिका.काम पर देख सकते हैं)
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