अफसरों का फोकस लाल चंदन के जंगल तैयार करने पर है। इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंदन की मांग ज्यादा होने और अन्य पेड़ों की लकड़ी से कई गुना ज्यादा कीमतें मिलना है। बन विभाग पहले चरण में सौ हेक्टेयर में चंदन के पौधे रोपेगा। इसके बाद साल-दर-साल इसी तरह जंगल तैयार किया जाएगा। इस परियोजना को केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। पूरी कवायद कैंपा फंड से मिलने बाली राशि से की जाएगी। वर्तमान में बन विभाग का सिवनी और सागर में चंदन का जंगल है।यहां दस-दस हेक्टेयर में चंदन के पेड़ हैं।
विभाग ने जिलों को आवंटित की राशि-
चंदन की खेती के लिए विभाग ने एक लाख रुपए हेक्टेयर की दर से जिलों को राशि आवंटित की है। यदि किसी कारण से लागत राशि बढ़ती है तो बजट सरकार देगी। इस राशि से जिले पौधारोपण करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में आमतौर पर लाल चंदन होता है। इसे ही प्राथमिकता दे रहे हैं। अन्य प्रजाति (जिनकी बाजार में मांग है) के पौधे भी प्रयोग के तौर पर लगाए जाएंगे।
चार जिलों में गूगल की खेती
औषधीय और अनुष्लान में गूगल की मांग ज्यादा है। इसलिए राज्य सरकार भिंड, मुरैना, ग्वालियर और श्योपुर में इसकी खेती कराने की तैयारी कर रही है। मुरैना में कुछ किसान इसकी खेती करते हैं। इसलिए विभाग ने प्रयोग के तौर पर मुरैना में 22 हेक्टेयर भूमि का चयन किया है। पौधे खरीदने के लिए एक संस्थान से चर्चा की जा रही है।