scriptसंविधान सभा में शामिल थे एमपी के 19 लोग, जानिए इनके बारे में | Samvidhan Diwas 2024 nineteen people from MP were included in the Constituent Assembly know about them | Patrika News
भोपाल

संविधान सभा में शामिल थे एमपी के 19 लोग, जानिए इनके बारे में

Samvidhan Diwas 2024; आज संविधान को 75 साल पूरे हो गए हैंं, 26 नवंबर के दिन संविधान को अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. भारतीय संविधान लिखने में मध्य प्रदेश की महान विभूतियों का भी नाम शामिल है…क्या आप जानते हैं इन्हें…

भोपालNov 26, 2024 / 12:23 pm

Sanjana Kumar

samvidhan diwas
Samvidhan Diwas 2024: आज 26 नवंबर, संविधान दिवस। 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। 299 सदस्यों वाली संविधान सभा ने इसे तैयार किया था। विशेष बात यह है कि इन 299 सदस्यों में से 19 लोग मध्यप्रदेश के हैं या फिर उनका जुड़ाव किसी न किसी तरह से मध्यप्रदेश से रहा। जानिए ऐसे ही सदस्यों के बारे में…

हिन्दू लॉ की व्याख्या

सागर की तीन विभूतियों ने संविधान लिखने में महती भूमिका निभाई। पहले हैं हरिसिंह गौर विवि के संस्थापक कुलपति डॉ. हरिसिंह गौर, जिन्होंने भारतीय संविधान को संवारने एवं हिंदू लॉ की व्याख्या की। दूसरे हैं अविभाजित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल। उन्होंने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देने का सुझाव दिया था। तीसरे हैं मलैया परिवार के सदस्य और कोयलांचल के श्रमिक नेता रतनलाल मालवीय। मजदूरों के नेता के रूप में विख्यात मालवीय 1954 और 1960 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे।

सबसे कम उम्र के कुसुमकांत

Samvidhan diwas 2024
23 जुलाई 1921 को थांदला झाबुआ में जन्मे कुसुमकांत जैन 28 साल की उम्र में झाबुआ, रतलाम रियासत की ओर से संविधान सभा में सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। स्कूल में ही 1936 में ब्रिटिश शासन के पॉलिटिकल एजेंट का विरोध करने पर विद्यालय छोडऩा पड़ा था।

हिन्दी में लिखवाना चाहते थे

सेठ गोविंद दास: जबलपुर में 1896 में जन्मे सेठ गोविंद दास संविधान सभा में हिंदी के प्रबल पक्षधर और भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। चाहते थे कि संविधान पहले हिन्दी में ही लिखा जाए। बाद में मध्यप्रदेश और बरार क्षेत्र से ही एक और सदस्य रहे डॉ. रघुवीर ने संविधान का पहला खण्ड हिंदी में प्रस्तुत किया इसे दक्षिण भारतीय प्रतिनिधियों ने तवज्जो नहीं दी। हिन्दी के प्रश्न पर कांग्रेस की नीति से हटकर संसद में दृढ़ता से हिन्दी का पक्ष लिया।
मास्टर लाल सिंह सिनसिनवार: ठाकुर मास्टर लाल सिंह सिनसिनवार का जन्म 1889 में भोपाल में हुआ। क्रिश्चियन कॉलेज इंदौर से पढ़े और 1913 में जहांगिरिया स्कूल भोपाल में अध्यापन कार्य शुरू किया। भोपाल में कन्या शाला खोलकर स्त्री शिक्षा का श्रीगणेश किया। वर्ष 1924 में भोपाल में पहला अनाथालय शुरू कराया। 1935 में सरकारी नौकरी छोड़ हिन्दू महासभा भोपाल की स्थापना की थी।

भीमराव आंबेडकर बाबा साहेब

Samvidhan Diwas 2024
भीमराव आंबेडकर का जन्म मऊ (इंदौर) में हुआ। पर उनका कार्यक्षेत्र शुरू से ही व्यापक रहा, वे संविधान सभा में पहली बार बंगाल से सदस्य चुने गए। वह हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में जाने के बाद उन्हें बाद में बंबई से सदस्य बनाया गया। महान गांधीवादी नेता शंकर त्र्यंबक धर्माधिकारी जिन्हें दादा धर्माधिकारी के नाम से जाना जाता है, वे बैतूल में जन्मे। 36 साल की उम्र से वर्धा में रहने लगे। बाद में महाराष्ट्र को ही अपना कार्यक्षेत्र बना लिया था।

विदिशा में जन्मे बाबू राम सहाय

Samvidhan diwas
विदिशा में जन्मे बाबू राम सहाय जिले में आंदोलन की धुरी हुआ करते थे। उनके घर में गुप्त रूप से आंदोलनकारियों की मीटिंग होती थीं। 1942 में असहयोग आंदोलन, जेल भरो आंदोलन में शामिल हुए। बाद में संविधान सभा के सदस्य बने।
samvidhan diwas 2024
भगवंतराव मंडलोई: जन्म 10 दिसंबर 1892 में खंडवा में हुआ। 1917 में वकालत की शुरुआत की। 1957 का आम चुनाव जीतकर खंडवा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। पहली बार पंडित रविशंकर शुक्ल की कैबिनेट में मंत्री बने।
सीताराम सरवटे: इंदौर में 1884 में जन्मे विनायक सीताराम सरवटे मराठी स्वतंत्रता सेनानी थे। ये राजनीतिक नेता और लेखक थे। संविधान सभा के सदस्य रहे। 1973 में इंदौर शहर का बस स्टैंड का नाम विनायक सरवटे बस स्टैंड किया गया।
अवधेश प्रताप सिंह: कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह का जन्म 1888 में सतना जिले में हुआ था। 1921 से 1942 तक के आंदोलनों में लगभग चार वर्ष जेलों में बंद रहे। उनके नाम पर रीवा विश्वविद्यालय का नामकरण किया गया।
Samvidhan diwas 2024
राधावल्लभ विजयवर्गीय: 30 जनवरी 1912 को राजगढ़ में राधावल्लभ विजयवर्गीय का जन्म हुआ। स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रियता के चलते अंग्रेजों ने उनके पिता को धमकी भरे पत्र लिखे। पिता को नौकरी छोडऩी पड़ी। बाद में राधावल्लभ को संविधान सभा का सदस्य बनाया गया। 1957 में नरसिंहगढ़ से विधायक भी रहे।

इनका भी रहा अहम योगदान

शंभूनाथ शुक्ल: जन्म 18 दिसंबर 1903 को शहडोल में हुआ। 1920 में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। विंध्य प्रदेश के (1952 से 1956) तक सीएम रहे। 1956 में विंध्य प्रदेश के विलय तथा नए मप्र के गठन पर 31 अक्टूबर 1956 को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।
हरि विष्णु कामथ: 1907 में मंगलूर कर्नाटक में जन्मे हरि विष्णु कामथ ने 1933 में अंग्रेजों की आईसीएस परीक्षा पास की। वे नरसिंहपुर कलेक्टर बने। त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन के बाद सुभाषचन्द्र बोस से मुलाकात हुई। इससे अंग्रेज सरकार नाराज हो गई। कामथ को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्हें संविधान सभा का सदस्य चुना गया।
एंग्लो इंडियन नेता फ्रेंक एंथोनी: जन्म 25 सितंबर 1908 को हुआ। वे देश के एक प्रमुख एंग्लो-इंडियन समुदाय के नेता थे। जबलपुर से वास्ता रखते थे, संविधान संविधान सभा के सदस्य बने।

बृजराज नारायण: बृजराज नारायण लेफ्टिनेंट कर्नल रहे। ग्वालियर रियासत के प्रतिनिधि के रूप में संविधान सभा में रहे। सीताराम जाजू: 29 मई 1915 को नीमच जिले में जन्मे जाजू स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे।
राम सहाय तिवारी: सभा में छतरपुर रियासत के प्रतिनिधि रहे। गोपीकृष्ण विजयवर्गीय: मध्य भारत के सीएम रहे विजयवर्गीय गुना के रहने वाले थे। ये संविधान सभा के सदस्य बनाए गए।

ये भी पढ़ें: Hit and Run Case में गई तीन दोस्तों की जान, बचपन का था साथ, मरकर भी निभाई दोस्ती

Hindi News / Bhopal / संविधान सभा में शामिल थे एमपी के 19 लोग, जानिए इनके बारे में

ट्रेंडिंग वीडियो