साध्वी प्रज्ञा ने जैसे ही नाथूराम गोडसे को लेकर बयान दिया वो विरोधियों के निशाने पर आ गईं। इतना ही नहीं साध्वी प्रज्ञा के बयान से भारतीय जनता पार्टी ने भी किनारा कर लिया। पार्टी ने साफ कर दिया कि ये उनका व्यक्तिगत बयान है, ये बीजेपी की विचारधारा नहीं है। उसके बाद अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनसे अनुशासन समिति ने जवाब मांगा है। अनुशासन समिति दस दिनों में इस पूरे मामले पर रिपोर्ट तैयार कर नेतृत्व को सौंपेगी। दस दिनों की मियाद अब पूरी हो गई है। बीजेपी की तरफ से अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
चुनाव नतीजे के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में एनडीए सांसदों की बैठक में साध्वी प्रज्ञा भी पहुंचीं। वहां प्रधानमंत्री मोदी से सभी सांसद एक-एक कर मिल रहे थे। पीएम सबका अभिवादन कर रहे थे। साध्वी जब उनके सामने हाथ जोड़े पहुंची तो उन्होंने मुंह फेर लिया और आगे बढ़ने का इशारा किया। फिर साध्वी प्रज्ञा हाथ जोड़े हुए आगे बढ़ गईं।
साध्वी प्रज्ञा से जब पूछा गया कि आप अमित शाह और मोदी जी से मिल अपनी बात रखी हैं क्या। साध्वी ने सिर हिलाते हुए न में दिया जवाब। फिर उन्होंने कहा कि पार्टी का अपना एक अनुशासन होता है, उसके अंतर्गत रहकर मैं काम करूंगी। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि अवसर मिला तो मैं मोदी जी से मिलूंगी। उनसे भोपाल की समस्याओं के बारे में बात करूंगा।
साध्वी प्रज्ञा मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी हैं। साध्वी ने मुंबई हमले के दौरान शहीद हेमंत करकरे के बारे में कहा था कि उनकी मौत हमारे श्राप की वजह से हुई है। इस बयान पर भी विवाद बढ़ा तो वह माफी मांग लीं। साध्वी कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को हराकर सांसद बनीं हैं।