भारत में रह रहा चीनी सैनिक वांग छी
बात करीब 58 साल पुरानी है, जब 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था, एक 22 साल का चीनी सैनिक वांग छी (wang qi) जो कि चीनी सेना (chinese soldier) में सर्वेयर था युद्ध विराम के बाद धोखे से भारत की सीमा में घुस आया। जिसके बाद उसे बंदी बना लिया गया। करीब सात साल 1963 से 1969 तक तक वांग छी को देश की अलग अलग जेलों में रखा गया। 1969 में वांग छी को जेल की दीवारी से रिहाई मिली और उसे बालाघाट के तिरोड़ी गांव में छोड़ दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद वांग छी तिरोड़ी मे ही बस गए।
यहीं मिला काम और जीवनसाथी
वांग छी तिरोड़ी में एक गेहूं पीसने की दुकान पर काम करने लगे सेठ ने वांग छी के काम से खुश होकर 1974 में गांव की है लड़की सुशीला से उसकी शादी करवा दी। सुशीला से शादी के बाद वांग छी की दुनिया पूरी तरह से बदल गई । धीरे धीरे पैसा जमा कर वांग छी ने गांव में ही एक किराने की दुकान खोल ली किस्मत ने साथ दिया दुकान चल पड़ी और वांग छी की दुनिया में खुशियां आने लगीं। दो बेटे और दो बेटियां भी हुईं। जिनमें से एक बेटे की मौत 25 साल की उम्र में हो गई थी।
54 साल बाद मिला वीजा
वांग छी परिवार के साथ तिरोड़ी में बस चुके थे लेकिन चीन में रहने वाले भाई और परिवार की याद उन्हें सताती रही। साल 2013 में वीजा बनाया और कई बार चीन जाने की अनुमति भारत सरकार से मांगी लेकिन अनुमति नहीं मिली। साल 2017 में भारत सरकार की ओर से उन्हें चीन जाने की अनुमति मिली और 57 साल बाद वांग छी अपने परिवार से मिलने के लिए चीन गए। फिर साल 2018 में वहां से वीजा लेकर भारत आए और फिर चीन लौट गए। साल 2018 में ही तीसरी बार वांग छी फिर से भारत आए लेकिन उसके बाद अभी तक चीन वापस नहीं लौट पाए हैं। वांग छी का वीजा मार्च 2019 तक के लिए था लेकिन लॉकडाउन के चलते वो चीन नहीं लौट सके और अभी अपने बच्चों के साथ गांव में ही रह रहे हैं।
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वांग छी को बेटे-बेटियों की चिंता
वांग छी बताते हैं कि तिरोड़ी गांव में उन्हें खूब प्यार मिला, शादी भी यहीं हुई और बच्चे भी पैदा हुए लेकिन चीन की याद उन्हें अब भी आती है और यही इच्छा है कि चीन में जाकर बस जाएं। चिंता इस बात की भी है कि उनके न रहने पर बेटे-बेटियों का क्या होगा।