परियोजना को हाल में केंद्र की मंजूरी के बाद संशोधित किया है। इस पर 75 हजार करोड़ खर्च प्रस्तावित है। मप्र के 11 जिले गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना के करीब 2100 गांवों में 36,800 करोड़ के काम होंगे।
करीब 40 लाख परिवारों को पीने व सिंचाई का पानी मिलेगा। उद्योगों की जरूरतें पूरी होंगी। परियोजना में मप्र एवं राजस्थान के मध्य मौजूदा चंबल दायीं मुख्य नहर एवं मप्र क्षेत्र में सीआरएमसी सिस्टम को अंतिम छोर तक नवीकरण एवं आधुनिकीकरण करने के प्रावधान किए हैं। इन कामों के पूर्ण होने के बाद श्योपुर, मुरैना, भिण्ड जिलों को भी सिंचाई व पीने का पानी मिलेगा।
मध्यप्रदेश में यह होगा
-6.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। -21 बांध एवं बैराज बनाए जाएंगे। -उद्योगों को 172 घनमीटर पानी मिलेगा, 5 वर्ष में काम पूरा होगा।
संशोधन में यह तय
पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, क्षिप्रा एवं सहायक नदियों के जल का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स में 4 बांध, 2 बैराज, कुंभराज कॉम्प्लेक्स में 2 बांध तथा रणजीत सागर, लखुंदर बैराज एवं ऊपरी चंबल कछार में 7 बांध शामिल हैं। गांधीसागर बांध के अपस्ट्रीम में छोटे बांधों का निर्माण भी प्रस्तावित है।