इस रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर हिंदी फ़िल्मों में कई यादगार व प्यारे गीत भी फ़िल्माए गए हैं। रक्षाबंधन पर्व के दिन ये गीत इस त्यौहार को और अधिक खास बना देते हैं।
दरअसल भाई-बहन के अटूट प्यार को दर्शाने वाले त्योहार रक्षाबंधन के गीतों ने लोगों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। पचास और साठ के दशक में रक्षाबंधन हिंदी फिल्मों का लोकप्रिय विषय बना रहा।
इस दौरान रक्षाबंधन पर बनी फिल्मों के कुछ के गीत तो मानों अमर ही हो गए हैं। बरसों बाद भी इनकी लोकप्रियता पहले जैसाी ही बनी हुई है। ऐसे में हम इन गीतों को गुनगुनाने के लिए कई बार मजबूर तक हो जाते हैं।
1. 1971 में रिलीज देव आनंद और जीनत अमान की फिल्म “हरे रामा हरे कृष्णा” भी भाई-बहन के प्यार पर आधारित थी। इस फिल्म का गीत, “फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है..” सदाबहार गीतों में शामिल है।
यहां करें क्लिक : Raksha Bandhan songs
आज भी भाई अपनी बहन को खुश करने के लिए गुनगुनाते हैं।
ये हैं गीत के बोल…फूलों का, तारों का, सबका कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उमर, हमें संग रहना है
फूलों का, तारों का, सबका कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उमर, हमें संग रहना है
फूलों का, तारों का, सबका कहना है
जबसे मेरी आंखों से हो गयी तू दूर
तबसे सारे जीवन के सपने हैं चूर
जबसे मेरी आंखों से हो गयी तू दूर
तबसे सारे जीवन के सपने हैं चूर
आंखों में नींद ना मन में चैना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उमर, हमें संग रहना है
फूलों का, तारों का, सबका कहना है
देखो हम तुम दोनों हैं इक डाली के फूल
मैं ना भूला, तू कैसे मुझको गई भूल
देखो हम तुम दोनों हैं इक डाली के फूल
मैं ना भूला, तू कैसे मुझको गई भूल
आ मेरे पास आ, कह जो कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उमर, हमें संग रहना है
फूलों का, तारों का, सबका कहना है
जीवन के दुखों से यूं लड़ते नहीं हैं
ऐसे बच के सच से गुज़रते नहीं हैं
जीवन के दुखों से यूं लड़ते नहीं हैं
ऐसे बच के सच से गुज़रते नहीं हैं
सुख की है चाह तो, दुःख भी सहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
सारी उमर, हमें संग रहना है
फूलों का, तारों का, सबका कहना है
एक हजारों में मेरी बहना है
एक हजारों में मेरी बहना है।।
2. वहीं इससे पहले बहन-भाई के प्यार भरे अटूट रिश्ते पर बनी सबसे पुरानी और लोकप्रिय फिल्मों में से एक है 1959 में बनी “छोटी बहन”, जिसका लता मंगेशकर द्वारा गाया गीत, “भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना….”, आज भी बहनें गाती हैं जब वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। यह गीत नंदा और रहमान पर फ़िल्माया गया है।
3. जबकि 1974 में प्रदर्शित धर्मेद्र की सुपरहिट फिल्म “रेशम की डोर” में सुमन कल्याणपुर द्वारा गाया गया गाना, “बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है… “, आज भी जब बहनें सुनती हैं तो भावुक हो जाती हैं।
4. “चंबल की कसम” का गीत “चंदा रे मेरे भइया से कहना, बहना याद करे….”, आज तक याद किया जाता है। रक्षाबंधन के दिन भाई से दूर दूसरे शहर में रहने वाली बहनें इस गीत के बोल सुन आंखें भर लेती हैं।
5. इसके अलावा 1962 में प्रदर्शित “अनपढ” फिल्म का माला सिन्हा पर लता मंगेशकर की आवाज में फिल्माया गीत “रंग-बिरंगी राखी लेकर आई बहना…”, सुनकर हंसती-मुस्कुराती बहन का चेहरा भाई के जेहन में आ जाता है जो हर साल बड़े प्यार से अपने भाई के लिए राखी लेकर आती है।
6. जबकि विमल राय की “बंदिनी” में भी एक बेहद मार्मिक गीत था, जिसमें बहन अपने पिता से भाई को सावन में भेजने का अनुरोध करती है। “अब के बरस भेज भइया को बाबुल सावन में दीजो बुलाय रे…।” बहन की व्यथा को बतलाने वाले शैलेन्द्र के लिखे और एसडी बर्मन के स्वरबद्ध किए इस गीत को आशा भोंसले ने गाया है।
7. “काजल” का मीना कुमारी पर फिल्माया आशा भोंसले द्वारा गाया गीत “मेरे भइया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन, तेरे बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ ना लूं…”, का रक्षा बंधन के गीतों में विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है।