वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार ने नए सिरे से पंचायतों का परिसीमन कराया था। इस दौरान बैरसिया के 13 गांव प्रभावित हुए थे। ये गांव 10 नई पंचायतों में शिफ्ट हो गए थे, इसकी नई मतदाता सूची भी तैयार हो चुकी है। उस समय पंचायतों की संख्या 197 हो गई थी। इनको पुरानी स्थिति में लाया जाएगा। 13 गांव के मतदाताओं की वोटर लिस्ट फिर से तैयार की जाएगी। सोमवार को हुई राज्य निर्वाचन आयोग की वीडियो कॉन्फ्रेंस में ये निर्देश जिले के अफसरों को दिए हैं।
वर्ष 2014 में अधिसूचना जारी होने के बाद 2015 में पंचायत
चुनाव हुए थे। इस दौरान जो आरक्षण था उसी आरक्षण पर एक बार फिर से चुनाव कराया जाएगा। ऐसे में उन लोगों को फायदा हो गया जिनकी सीट पुरुष थी और 2019 में वार्ड आरक्षण के बाद महिला हो गई थी। सरकार के इस फैसले से पंचायतों में काफी कुछ समीकरण बदलेंगे। मतदाता सूची में बदलाव होने से वोटर के गांव भी बदल सकते हैं।
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यहां फंस सकता है पेंच…
पंचायत का रिजर्वेशन चक्रीय होता है। 2014 की स्थिति में चुनाव होने से रिजर्वेशन का चक्र पूरा नहीं हो पाएगा। जानकारों की मानें तो इन परिस्थितियों में मामला कोर्ट में फंस सकता है। 2019 में हुए वार्ड आरक्षण के बाद काफी कुछ बदलाव हुए थे। खुद जिला पंचायत अध्यक्ष मनमोहन नागर का वार्ड पुरुष से महिला हो गया था, पुरानी स्थिति में चुनाव कराने पर वह फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ सकेंगे। पुराने लोगों को काफी फायदा होगा।