केस 1
अरेरा कॉलोनी में रहने वाली २8 वर्षीय चार्टड एकाउंटेंट महिला परिवार से दूर रहने के कारण वेबसाइट्स पर प्रोडक्ट देखती रहती। ऑनलाइन शॉपिंग की ऐसी लत लगी कि काम के समय में भी वह ऑनलाइन प्रोडक्ट ही देखती रहती। ये सिलसिला देर रात तक चलता। कई बार तो महीने में चालीस से पचास तक की शॉपिंग कर डालती। जब डॉक्टर से कंसल्ट किया तो पता चला कि वह शॉपाहोलिक हो चुकी है।
केस 2
आईटी फर्म से जुड़े एक युवा को ऑफर्स में खरीदी करता था। धीरे-धीरे उसे हर समय ऑनलाइन साइट्स देखने की लत पड़ गई। ये लत इतने खतरनाक स्तर तक पहुंच गई कि सैलेरी का एक बड़ा हिस्सा शॉपिंग में ही खर्च हो जाता। जब उसने काउंसलर की मदद ली तो पता चला कि वह इस एडिक्शन का शिकार हो चुका है। करीब तीन माह की काउंसलिंग के बाद वह इस एडिक्शन से दूर हो पाया।
ये हैं एडिक्शन लक्षण
– खरीदारी करने के बाद क्रोधित हो जाना।
– ज्यादा से ज्यादा समय उत्पाद चुनने में बिताते हैं।
– ऑनलाइन खरीदारी को लेकर दोस्तों से भी मतभेद हो जाते हैं।
– खरीदारी करते समय खुद को परेशान महसूस करते हैं।
– खरीदारी करने के बाद खुद कन्फ्यूज हो जाते हैं।
– खरीदारी करने के फेर में ऐसी चीजें भी खरीद लेते हैं जो आपके काम की ही नहीं है।
– ऑफर के लालच में बजट से ज्यादा की चीजें खरीद लेते हैं।
– खरीदारी के लिए जरूरी बजट में भी कटौती कर देते हैं।
यंगस्टर्स ये रखें ख्याल
डॉ. सत्यकांत के अनुसार ऑनलाइन शॉपिंग की आदत वाले मरीजों को शॉपाहोलिक यानी खरीदारी का व्यसनी भी कहा जाता है। इसे लेकर कई तरह के शोध भी हो चुके हैं। एक शोध के अनुसार अब तक ये आदत अमेरिका और इंग्लैंड जैसों में देखी जाती थी, लेकिन अब भारत में भी लोग इसके शिकार होने लगे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले करीब पांच से सात फीसदी तक शॉपाहोलिक के शिकार हैं।
मनोचिकित्सक की ले रहे सलाह
डॉ. त्रिवेदी के अनुसार लोग इसके पूरी तरह लती हो जाते हैं, लत के फेर में वे दोस्तों-परिवार तक से कट जाते हैं। उनकी महीनों तक काउंसलिंग करना पड़ती है। कई लोग तो लाखों तक की शॉपिंग कर लेते हैं।