चारों मठों की स्थापत्य शैली देगी दिखाई
वेदांत संस्थान के चार शोध केन्द्रों को आचार्य शंकर द्वारा देश की चारों दिशाओं में स्थापित मठों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों यथा पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की विशिष्ट स्थापत्य शैली के आधार पर विकसित किया जाएगा। साथ ही शारदापीठ (सर्वज्ञपीठ) पर आधारित मंदिर भी बनेगा। इससे मठों तथा पारम्परिक शैली का बोध होगा। इसे अद्वैत वेदांत दर्शन के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों, देश-विदेश की प्रमुख संस्थाओं, विश्वविद्यालयों तथा आध्यात्मिक संगठनों के लिए संदर्भ केंद्र व समन्वय केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। देश-विदेश के स्कॉलर्स अद्वैत के विभिन्न विषयों पर शोध कर सकेंगे। यह पूर्वी भारत की वास्तुविदीय और कलात्मक शैली में बनेगा।
उपनिषद के साथ विज्ञान भी
यहां आचार्य हस्तामलक अद्वैत विज्ञान केंद्र बनेगा। इसमें आधुनिक विज्ञान के माध्यम से अद्वैत वेदांत की अवधारणा, वैज्ञानिक अवलोकन और उपनिषदिक ज्ञान के मध्य समानताओं पर अध्ययन-अध्यापन और शोध होगा। यह पश्चिम भारतीय शैली में बनेगा। वहीं, आचार्य सुरेश्वर अद्वैत सामाजिक विज्ञान केंद्र का निर्माण दक्षिण भारतीय वास्तु विदीय व कलात्मक शैली में होगा। आचार्य तोटक अद्वैत साहित्य, संगीत एवं कला केंद्र उत्तर भारतीय शैली में होगा।
महर्षि वेदव्यास अद्वैत ग्रंथालय में होंगी एक लाख किताबें
यहां एक लाख किताबों का महर्षि वेदव्यास अद्वैत ग्रंथालय बनेगा। यह तक्षशिला/द्रविड़ वास्तु शैली पर आधारित होगा। आचार्य गौडपाद अद्वैत विस्तार केंद्र कांची कामकोटी की वास्तुविदीय संरचना पर आधारित होगा। तो आचार्य गोविंद भगवत्पाद गुरुकुलअद्वैत वेदांत के अध्ययन के लिए एक आवासीय गुरुकुल होगा। यहां प्राचीन व पारंपरिक शैली में शिक्षा दी जाएगी।