ओपीडी में मरीजों को देखने से लेकर ऑपरेशन और वॉर्ड में भर्ती मरीजों की जिम्मेदारी इन्हीं पर ही होती है। इतनी जिम्मेदारियों के चलते जूनियर डॉक्टर लगातार 18 घंटे तक अस्पताल में ड्यूटी करते हैं, यही नहीं कभी रिलीवर ना होने पर 36 घंटे भी ड्यूटी करनी पड़ती है। काम के अत्यधिक बोझ के चलते जूनियर डॉक्टर कई बार शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाते हैं। ऐसे में जूडा को मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्त रखने चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हर मेडिकल कॉलेज में रीक्रिएशन सेंटर तैयार करने का निर्णय लिया है।
लगातार काम से होता है तनाव
जूनियर डॉक्टर अक्सर इमरजेंसी ड्यूटी करते हैं। नाइट ड्यूटी के बाद अगले दिन ओपीडी, ओटी और वार्ड में ड्यूटी भी होती है। ऐसे में खाने और सोने का समय भी तय नहीं होता। मनोचिकित्सक डॉ. मोनिका वर्मा बताती हैं कि लगातार ड्यूटी और अनियमित खानपान के चलते शारीरिक और मानसिक तनाव होता है। ऐसे में कई जूनियर डॉक्टर बीमार हो जाते हैं। उनके मानसिक तनाव को दूर करने के लिए इस तरह के सेंटर मददगार साबित होंगे।
यह होगी सुविधा
जानकारी के मुताबिक हर सेंटर में इंडोर गेम्स जैसे कैरम, स्नूकर, टेबिल टेनिस की सुविधा के साथ मनोरजंन के लिए टीवी और अन्य सुविधाएं होंगी। यही नहीं हर सेंटर में कैफेटेरिया और सुविधा लाइब्रेरी भी तैयार की जाएगी जहां जूड़ा खुद को मानसिक रूप से तरोताजा कर सकेंगे।
विश्वास सारंग, मंत्री चिकित्सा शिक्षा का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए इस सेंटर को तैयार किया जाएगा। इसमें खेल गतिविधि, कैफेटेरिया, लाइब्रेरी से लेकर टेलीविजन रूम आदि की सुविधा होगी। जल्द ही यह सेंटर शुरू होंगे।