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रैन बसेरों की रीति-नीति में कोई बदलाव क्यो नहीं- सवाल
बड़ा सवाल ये हैं कि, जब जिम्मेदारों द्वारा देश-प्रदेश को बदलने के इतने फैसले लिये जा रहे हैं, तो रैन बसेरों की रीति-नीति में कोई बदलाव क्यों नहीं हो रहा। गौरतलब है कि, पिछले दिनों प्रशासनिक अमले ने शहर के नादरा बस स्टैंड समेत अन्य रैन बसेरों का औचक निरीक्षण किया था, लेकिन उस दौरान अन्य खामियां तो दूर की बात पतला या फटा कंबल भी कहीं नजर नहीं आया। जबकि, निरीक्षण के समय हर एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही कंबल ओढ़ने को दिया गया था। मानवीय दृष्टि से सोचने वाली बात ये है कि, क्या पतला कंबल ओढ़कर सर्दी के सितम से बचा जा सकता है, लेकिन इस सवाल का जवाब कोई भी जिम्मेदार नहीं देना चाहता।
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लोगों ने सुनाई अपनी व्यथा
वहीं, दूसरी तरफ रैन बसेरों में ठहरे लोगों ने बताया कि, हम लोग सर्दी से ठिठुरते हुए ही रात बिताते हैं। कोई अधिकारी यहां रातभर गुजारकर बताए, हकीकत पता चल जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ रैन बसेरा संचालकों का कहना है कि, प्रशासन की तरफ से हमें जो कपड़े या कंबल महैय्या कराए जाते हैं, हम उसे लोगों तक पहुंचाते हैं।
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