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Property Guidelines: कृषि भूमि की रजिस्ट्री क्यों दोगुने भाव में होती है? जानिए क्या है कारण

मध्यप्रदेश में नई गाइडलाइन जारी हो गई है…। गाइडलाइन की शर्तों के असर के कारण ऐसा होता है…। यहां देखें विस्तार से…>

भोपालApr 03, 2024 / 03:11 pm

Manish Gite

New collector guidelines

collector guidelines

 

मध्य प्रदेश में वर्ष 2024-25 की नई कलेक्टर गाइडलाइन आचार संहिता के बाद लागू होगी। गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में औसतन 7 प्रतिकी बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। हालांकि कारोबारी और जमीन खरीदने के इच्छुक लोग इन बढ़े हुए रेट्स से कम इनके साथ लगने वाले उपबंधों से ज्यादा परेशान हैं।

खासतौर पर कृषि भूमि को अलग-अलग स्लैब में बांटकर रजिस्ट्री के प्रावधान से जमीन की रजिस्ट्री वास्तविक से दोगुने रेट पर होती है। इसी प्रकार फ्लैट की रजिस्ट्री भी सार्वजनिक एरिया को जोड़कर होने से डेढ़ गुनी महंगी हो रही है। बहुमंजिला आवासीय भवनों में ऊपरी माले पर केवल इस कारण स्टांप शुल्क की छूट खत्म कर दी गई कि वहां लिफ्ट लगी हुई है। जबकि लिफ्ट आज की जरूरत है। खास बात यह है कि इन शर्तों पर कभी दावे-आपत्तियां नहीं बुलाई जाती हैं। क्रेडाई ने आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

 

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मान लीजिए किसी को भोपाल में एक हेक्टेयर कृषि भूमि की रजिस्ट्री करानी है। वहां गाइडलाइन में तय बाजार मूल्य 3 करोड़ रुपए प्रति हेक्टेयर है। नगरीय क्षेत्र में स्टांप शुल्क की दर जमीन के बाजार मूल्य का 12.5 प्रतिशत है। ऐसे में यदि कृषि भूमि के तौर पर रजिस्ट्री करने में 37.50 रुपए स्टांप शुल्क चुकाना होगा। लेकिन उपबंधों के प्रावधानों के कारण बाजार मूल्य का आकलन बिल्कुल बदल जाता है। एक हेक्टेयर में 10 हजार वर्ग मीटर होते हैं।

उपबंधों के अनुसार पहले 1 हजार वर्ग मीटर का आकलन विकसित भूखंड की दर यानी 30 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से होता है। इसके बाद शेष जमीन का आकलन कृषि भूमि के डेढ़ गुने की दर से होगा। इस प्रकार जमीन का बाजार मूल्य लगभग 6 करोड़ माना जाएगा। इसकी रजिस्ट्री पर 75 लाख रुपए का स्टा्प शुल्क और अन्य उपकर चुकाने होंगे।

 

0-उपबंधों में कृषि भूमि को दो हिस्सों में बांटकर रजिस्ट्री के लिए बाजार मूल्य का आकलन किया जाता है। उपबंधों में यह प्रावधान है कि जब जमीन का क्षेत्रफल 1 हजार वर्ग मीटर से अधिक हो तो पहले 1 हजार वर्ग मीटर तक विकसित भूखंड की दर से और शेष डायवर्टेड जमीन के लिए कृषि भूमि की अधिकतम दर का डेढ़ गुने की दर से और डायवर्टेड जमीन नहीं होने पर कृषि भूमि की दर से मूल्यांकन किया जाएगा। यह नियम भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर नगर निगम क्षेत्रों और उनके विशिष्ट गांवों के लिए लागू है।

0-यदि कृषि भूमि 1 हजार वर्गमीटर से कम हो और डायवर्टेड नहीं हो तो भी 400 वर्ग मीटर तक आवासीय भूखंड की दर से, इससे आगे 700 वर्ग मीटर तक आवसीय भूखंड की दर का 80 प्रतिशत से आकलन होगा।

0-यदि कृषि भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग या उसके बायपास पर 20 मीटर के दायरे में है तो गाइडलाइन में तय मूल्य से 100 प्रतिशत अधिक, राज्य मार्ग पर 50 प्रतिशत अधिक और पक्की सड़क किनारे होने पर 20 प्रतिशत अधिक दर से बाजार मूल्य का आकलन किया जाता है।

0-उपबंधों के अनुसार रजिस्ट्री के समय फ्लैट के बाजार मूल्य का आकलन भी सुपर बिल्ट अप एरिया अर्थात इसमें सार्वजनिक एरिया जोड़कर किया जाता है। इस प्रकार यदि किसी का फ्लैट एक हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल का है, जो उसने खरीदा है तो उसे रजिस्ट्री के समय लगभग डेढ़ हजार वर्ग फीट पर स्टांप शुल्क देना पड़ रहा है।

0-आवासीय बहुमंजिला भवनों में लिफ्ट की सुविधा होने पर तल के अनुसार दी जाने वाली 35 फीसदी तक स्टांप शुल्क में छूट नहीं दी जाती है। उपबंधों में यह प्रावधान है, जबकि आज लिफ्ट हर बिल्डिंग की जरूरत है।

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