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ये दस्तावेज किसी के हाथ लग जाते तो वो बन जाता नवाबों की अरबों रुपये की संपत्ति का मालिक

जरा सोचिये कि, अगर किसी को कोई ऐसे दस्तावेज हाथ लग जाते जिसके दम पर वो नवाबी संपत्ति का मालिक बन जाता या यूं कहें कि, एक पूरे शहर का मालिक बन सकता था, तो आप कहेंगे कि ये संभव नहीं है। लेकिन, ऐसा हो सकता था।

भोपालFeb 23, 2020 / 07:13 pm

Faiz

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ये दस्तावेज किसी के हाथ लग जाते तो वो बन जाता नवाबों की अरबों रुपये की संपत्ति का मालिक

भोपाल/ बचपन से टीन एज में कदम रखने वाली अवस्था अपने मन में ख्याली पुलाव बनाने वाली उम्र होती है। इस उम्र में अकसर किशोरों की चाहत हर चीज को चमत्कारी ढंग से पाने की होती है। जैसे उनके पास कहीं से बहुत सारे पैसे आ जाएं या उनके पास भी कोई महंगी सी बाइक हो। खास स्टार्डम में रहकर उनका जीवन गुजरे। पर जैसे जैसे हम मैच्योर होते हैं, हमें समझ आ जाता है कि, हकीकत ऐसे किसी भी ख्याल से परे हैं। लेकिन, जरा सोचिये कि, अगर किसी को कोई ऐसे दस्तावेज हाथ लग जाते जिसके दम पर वो नवाबी संपत्ति का मालिक बन जाता या यूं कहें कि, एक पूरे शहर का मालिक बन सकता था, तो आप कहेंगे कि ये संभव नहीं है। लेकिन, ऐसा हो सकता था।

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क्राइम ब्रांच ने पकड़े नवाबी दौर के दस्तावेज

पिछले दिनों भोपाल में क्राइम ब्रांच द्वारा एक ट्रक भरकर कुछ ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज पकड़े हैं, जो भोपाल रियासत के दौर के हैं और बेहद महत्वपूर्ण हैं। जांच में सामने आया कि, इन दस्तावेजों की मदद से कोई भी शहर की नवाबी संपत्ति का मालिकाना दावा पेश कर सकता था। पकड़े गए दस्तावेजों की जांच करने के लिए क्राइम ब्रांच ने पुरातत्वविदों और इतिहास के जानकारों को दस्तावेजों की जांच का जिम्मा दिया। जांच में सामने आया कि, वो दस्तावेज ब्रिटिश और नवाबी शासन काल के थे, जो सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं। जैसे उस समय के रजिस्ट्री दस्तावेज और 20 से ज्यादा कोरे लेटरहेड। बताया जा रहा है कि, ये कोरे लेटरहेड भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्ला खां के थे।

 

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इन दस्तावेजों पर पुलिस को शक

जांच के दौरान जैसे ही भोपाल स्टेट के मोनोग्राम लगे लेटरहेड पर पुरातत्वविद् मिर्जा मुमताज बेग की नजर पड़ी, तो वो उन्हें देखकर हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि, इस पर चाहे तो कोई भी भोपाल के कदीमी शहर की प्रॉपर्टी अपने नाम लिख ले। हालांकि, पुलिस भी इन लाखों दस्तावेजों में ऐसे ही बेशकीमती कागजों को तलाश रही थी। पुलिस को पहले से ही शक है कि, शायद ऐसे ही दस्तावेजों की मदद से भोपाल की कई जमीनों पर अपना हक जताया गया है, जिसकी जांच में पुलिस जुटी है। एएसपी निश्चल झारिया के अनुसार, इन लेटरहेड का दुरुपयोग करना कोई मुश्किल काम नहीं था। कोई चाहे तो इसपर कुछ भी लिखकर उसपर अपना दावा पेश कर सकता है। फिलहाल, विभाग ने कुछ दस्तावेजों को महत्वपूर्ण समझते हुए उन्हें ऐतिहासिक माना है।

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चांसलर बनने पर मिली थी नवाब साहब को बधाई

बेग के मुताबिक, कुछ ऐतिहासिक महत्व की अप्रकाशित किताबों की हस्तलिखित प्रति भी मिली हैं,जिनमें भोपाल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख है। कस्तूरबा गांधी के निधन पर नवाब साहब द्वारा शोक व्यक्त करने के पत्र की ऑफिस कॉपी के साथ-साथ विभिन्न रजवाड़ों के शासकों द्वारा चैम्बर ऑफ प्रिंसेज के चांसलर बनने पर नवाब हमीदुल्ला को भेजे बधाई संदेश भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें भोपाल नवाब द्वारा दूसरी रियासतों के प्रमुखों के साथ पत्राचार वाले दस्तावेज शामिल हैं। इसके अलावा कई ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जिनमें नवाबी शासन काल की जमीन, राजस्व से जुड़े मामले के आदेश हैं। पुलिस यह परीक्षण कर रही कि कहीं इनके दुर्पयोग की आशंका तो नहीं थी।

 

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1858 की फाइलें भी मिलीं

इन दस्तावेजों में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़े कुछ कागज भी सामने आए हैं। साथ ही, पॉलिटिकल डिपार्टमेंट के पत्राचार की एक सीरिज भी है, जो कई सालों से गायब थी। भोपाल रियासत पर शोध करने वाले शोधार्थियों को इसकी तलाश थी। भोपाल रियासत की 1858, 1885 एवं 1912 के राजनीतिक, प्रशासनिक, सैन्य प्रबंध से जुड़ी कई खूफिया और महत्वपूर्ण फाइलें भी इनमें मिली हैं।

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1928 में 5 ली. पेट्रोल 1.11 रु. में

लंदन की एक कंपनी से 1928 में शुगर मिल खोलने के पत्राचार के भी कागज मिले हैं। इसमें कहा गया है कि मिल खोलने के लिए 3000 एकड़ भूमि की जरूरत होगी। इसके अलावा कोयला भी भोपाल रियासत को उपलब्ध कराना होगा। वहीं, एक दस्तावेज में उल्लेख है कि वर्ष 1928 में भोपाल में पेट्रोल 1 रुपए 11 पैसे में 5 लीटर मिलता था।


क्राइम ब्रांच की जांच में हुआ खुलासा

बता दें कि, इन दस्तावेजों के संबंध में क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि, ओपल ट्रांसपोर्ट कंपनी के एक मिनी ट्रक में ब्रिटिश और नवाबी शासन काल के दस्तावेज बक्सों और बोरियों में भरकर गुजरात जा रहे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस ने ट्रक पीछा कर उसे रोका और थाने लाकर उसकी छानबीन में ये दस्तावेज सामने आए। जबकि, पुलिस पड़ताल के दौरान ही थाने में गुजरात का एक व्यापारी भी पहुंच गया, जिसने दस्तावेजों को रद्दी बताते हुए उन्हें भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खां की सबसे छोटी बेटी राबिया की बहू फातिमा सुल्तान से खरीदने की बात कही। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने फातिमा सुल्तान से संपर्क करके इस संबंध में पूछताछ की, जिसमें उन्होंने बताया कि यह दस्तावेज भोपाल में उनके आधिपत्य के स्टोर रूम में कई सालों से रखे थे। उसमें कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं हैं।


नवाब के तीन कोट भी

नवाब हमीदुल्ला 1945 में जब एयर चीफ मार्शल बने थे, उस कालखंड के तीन कोट मिले हैं। इनमें भोपाल रियासत, भोपाल वायुसेना के चिन्ह वाले बटन आदि लगे हैं। ये सामग्री भोपाल के नवाब परिवार की फातिमा सुल्तान से अहमदाबाद के भाविक बारोट और विपुल मेहता एक लाख रुपए में खरीदी थी। परीक्षण के बाद मिली रिपोर्ट के आधार पर पुलिस एंटीक्विटीज एक्ट के तहत कार्रवाई करेगी। बेग की मानें तो बिना लाइसेंस और सक्षम प्राधिकारी से अनुमति के बिना ऐसे दस्तावेज बेचना-खरीदना अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन, जरा सोचिये कि, अगर ये दस्तावेज किसी गलत होथों में चले जाते तो क्या इससे मौजूदा समय में शहर में रहने वाले लोगों को नुकसान नहीं होता?

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