सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश में सहकारिता के माध्यम से गांववालों की आर्थिक उन्नति की कवायद की जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों, पशुपालकों पर फोकस किया है। प्रदेश में फसल क्रांति के बाद अब दूध क्रांति से पशुपालकों, किसानों को संपन्न बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अनुसार प्रदेश में न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि की कोशिश की जा रही है बल्कि पशुपालकों को दूध की उचित कीमत दिलाने की भी पहल की गई है। राज्य सरकार ने इसके लिए दुग्ध संघों के प्रबंधन और संचालन का काम राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से किए जाने का फैसला लिया है। सीएम ने आशा जताई कि इससे प्रदेश के दुग्ध-उत्पादक किसानों, पशुपालकों की संपन्नता के साथ खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों को भी लाभ मिलेगा।
सहकारिता के माध्यम से आर्थिक स्थित मजबूत करने के लिए शुरुआत में प्रदेश के 11 हजार गांवों में बहुउद्देशीय सहकारी संस्थाओं का गठन किया जाएगा। दुग्ध संघों के प्रबंधन और संचालन का काम राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड देखेगा। अभी पांच वर्ष के लिए यह सहमति बनी है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ हुए इस समझौते से सभी 11 हजार गांवों के पशुपालक और दुग्ध-उत्पादक किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। किसानों को कृषि आधारित उद्योगों के लिए कच्चे माल उपलब्ध होगा। उनके उत्पादों में भी किसानों की पूरी भागीदारी होगी।
11 हजार गांवों के लोगों की आर्थिक उन्नति की इस योजना के संबंध में सीएम मोहन यादव ने ट्वीट भी किया। उन्होंने अपने एक्स हेंडल पर लिखा- यशस्वी प्रधानमंत्री @narendramodi जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार, विकास की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है…
मध्यप्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में काम की गुंजाइश है, विशेष रूप से पशुपालन और दूध उत्पादन को लेकर बड़ा स्कोप है। दूध उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ एमओयू भी किया है। इससे लगभग 11,000 गांवों में किसानों को दूध की उचित कीमत मिलेगी और उनकी आय बढ़ेगी।
भारत सरकार इस प्रयास में लगातार सहयोग प्रदान करेगी।