कॉन्फ्रेंस में विभिन्न राज्यों की जेलों के वार्डन से लेकर महानिरीक्षक स्तर की वर्दीधारी महिला अधिकारी और कर्मचारी, गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।
वर्दीधारी महिलाओं के इस प्रकार के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पहली बार दिल्ली से बाहर मध्यप्रदेश में किया जा रहा है। पहली बार यह सम्मेलन 2017 में दिल्ली में हुआ था। मध्यप्रदेश में महिलाओं को शासकीय सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश के जेल विभाग में 900 से अधिक वर्दीधारी महिला अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं।
द्वितीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में जेल विभाग में कार्यरत वर्दीधारी महिला अधिकारियों-कर्मचारियों के लिये लिंगभेद मुक्त कार्य-स्थल/वर्दीधारी महिलाओं की कार्य-स्थल पर चुनौतियां, वर्दीधारी महिला अधिकारियों के लिए कार्य और पारिवारिक जीवन में संतुलन/वर्दीधारी महिला जेल अधिकारियों को जेल के मुख्य कार्यों एवं दायित्वों से जोडऩा, कार्य-स्थल से जुड़ी समस्याएं तथा मानसिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत बनाने के लिये कार्य-निष्पादन संबंधी चर्चा की जाएगी। कॉन्फ्रेंस में दो ऐसी वर्दीधारी महिला अधिकारी-कर्मचारियों की भी चर्चा होगी, जिन्होंने अपने कार्यकाल में सफलतापूर्वक चुनौतीपूर्ण कार्य किये हैं।
वन विहार में भी होगा स्कूली बच्चों के लिए अनुभूति कार्यक्रम
ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा आयोजित होने वाले अनुभूति कार्यक्रम में इस वर्ष भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को भी शामिल किया गया है। यह कार्यक्रम 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक आयोजित होगा जिसमें शासकीय विद्यालयों के छठवीं से बारहवीं तक के छात्र-छात्राएं भाग लेंगे।
इस माह की 19, 23 और 24 तारीख तथा जनवरी- 2020 में 4, 7 और 9 तारीख को आयोजित होने वाले प्रत्येक अनुभूति शिविर में 120 विद्यार्थी शामिल होंगे। विद्यार्थियों को लाने-ले जाने की व्यवस्था वन विहार प्रबंधन द्वारा की जाएगी। वन विहार की संचालक कमलिका मोहंता ने बताया कि शिविर के लिए विभिन्न स्कूलों से विद्यार्थियों के चयन की प्रक्रिया जारी है।
कार्यक्रम में आरूषि, निदान, लक्ष्य, सेरिब्रल पल्सी, एस.ओ.एस बालग्राम, बाल-बालिका गृह संस्था के साथ अनाथ और दिव्यांग बच्चे भी शामिल होंगे। अनुभूति कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में वन, वन्य-प्राणी एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना है। इससे बच्चे प्रशिक्षण के साथ सृष्टि में प्रकृति की अनिवार्यता को बारीकी से समझ सकेंगे।