Q. कमलनाथ सरकार को 121 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, फिर किस बोझ की बात कर रहे हैं ?
A. सरकार का कामकाज देख लीजिए। मध्यप्रदेश में ऐसे हालात कभी नहीं थे। ऐसी तो कांग्रेस की सरकारें भी नहीं थीं। भाजपा की सरकार लाख गुना बेहतर काम कर रही थी। बिजली सरप्लस है पर उपभोक्ताओं को नहीं मिल रही है। कर्ज माफी की घोषणा खुद की पर किसानों के खाते में पैसे नहीं पहुंच रहे हैं। गौशाला बनाने की बात भी बातों तक सीमित है।
A. कमलनाथ के व्यक्तिगत संबंध की बात अलग है। सरकार की बात अलग। कांग्रेस कार्यकर्ता ही सरकार से नाराज हैं, जनता विधायकों से, विधायक मंत्री और मुख्यमंत्री से नाराज हैं। इस आपसी कलह से विश्वास का संकट पैदा होता है। सब एक-दूसरे से त्रस्त हैं।
A. किसी सरकार के साथ भेदभाव या अन्याय का सवाल ही नहीं उठता है। लेकिन केन्द्र सरकार पहले की तरह काम नहीं करती है। अब हर काम का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देना होता है, तभी आगे की राशि जारी होती है। हो सकता है मध्यप्रदेश में भी यही मामला हो हमें पता नहीं है।
A. सार्वजनिक जीवन पर की एक मर्यादा होती है। धैर्य और संयम से हर चीज का निदान होता है। मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसे मामलों को अच्छा नहीं मानता हूं। कार्रवाई के बारे में कुछ कह नहीं कहना, संगठन सभी चीजों को देखता है।
A. कर्जमाफी किसानों ( Debt Waiver ) की माली हालत सुधारने का उपाय नहीं है। हमारी भी जहां सरकारें हैं ऐसे कदम उठाए गए हैं। किसानों को इसका फायदा नहीं पहुंचा। कर्ज लेने का दायरा, उसे जमा कराने को प्रोत्साहित करने का प्रयास होने चाहिए। कर्ज से संकट बढ़ता है, खेती को दूसरे तरीकों से सश्क्त कर सकते हैं। क्रनेद्र इस दिशा में प्रयास कर रही है।
A. केन्द्र ने 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस दिशा में काम चल रहा है। किसानों की आय दोगुना करने का अर्थ यह नहीं है कि अनाज के दाम बढ़ा दिए जाएं। इससे तो बाजार प्रभावित होगा। बल्कि खेती की लागत को कम करना है। माना जाता है कि अधिक खाद और पानी से उत्पादकता बढ़ती है यह गलत है। इसे बदलने का प्रयास किया जा रहा है। जैविक खाद, जैविक खेती, विविधीकरण उपकरण ऐसे उपाय हैं जिनसे उत्पादकता भी बढ़ती है और लागत भी घटती है।
A. जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी ऐसा कभी नहीं हुआ।। कृषि मंत्री और खुद शिवराज सिंह चौहान प्रयास करते थे। राजनीति करने की बजाए प्रदेश सरकार समस्या बताए तो उसका हल निकाला जा सकता है। प्रदेश में बासमती और दूसरे जिंसों का निर्यात हो और किसानों को फायदा मिले। इस दिशा में काम चल रहा है। जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी।
A. पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अकेले सड़कों पर 80,000 रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है। सवा लाख किमी सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में होगा। पंचायतों को समृद्ध बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश की अधिकतर पंचायतों को डिजिटल भारत से जोड़ा गया है। विभाग निरंतर प्रयासरत है।