मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में है यह जगह। जिसे नागलोक का द्वार कहने से इसे नागद्वारी भी कहा जाता है। पचमढ़ी से करीब 20 किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ी रास्ता पार करने के बाद इस जगह पर पहुंचा जा सकता है।
ट्रैकर्स के लिए रोमांचक है यह यात्रा
धार्मिक महत्व के लिए तो यहां लाखों लोग दर्शन करने जाते हैं, लेकिन यह पर्वतारोहियों के लिए भी खास जगह है। रोमांचक ट्रैकिंग के शौकीन युवा भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। यूथ होस्टल एसोसिएशन आफ इंडिया की लेकसिटी यूनिट भोपाल के सचिव संजय मधुप भी बताते हैं कि हमारे ग्रुप ने नागद्वारी ट्रैक की तैयारी पूरी कर ली है। पिछले साल ही इसकी रैकी कर ली थी। इस बार इस कठिन ट्रैक को कम समय में पूरा करने की योजना है।
लगता है अमरनाथ जैसा नजारा
इस यात्रा पर जाने वाले लोग अपने अनुभव बताते हैं। भोपाल के यूथ होस्टल एसोसिएशन के सीनियर ट्रैकर्स राहुल शुक्ला पिछले साल नागद्वारी यात्रा पर गए थे, उन्होंने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि यहां के बड़े-बड़े पहाड़ और गुफा का अद्भुत दृश्य देखकर लगता है जैसे हम अमरनाथ यात्रा ही कर रहे हों। कदम-कदम पर खतरा तो रहता ही है, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच के लिए यह हमारी पहली पसंद है।
भोपाल से जाएगा विशेष दल
भोपाल के सैकड़ों ट्रैकर्स इस रोमांचकारी ट्रैक पर जाने वाले हैं। करीब 40 सदस्यों का एक दल 29 जुलाई को भोपाल से पचमढ़ी जाएगा। जो नागद्वारी के खतरनाक रास्तों पर ट्रैक करेगा।
5 से 16 अगस्त तक रहेगा नागद्वारी मेला
पचमढ़ी में हर साल नागद्वारी मेला भी लगता है। यहां हजारों श्रद्धालु धार्मिक यात्रा के लिए आते है। इस बार यह मेला 5 से 16 अगस्त के बीच लगाया जाएगा।
10 लाख लोग पहुंचते हैं दर्शन करने
इस क्षेत्र को खतरनाक और खौफनाक माना जाता है। यह क्षेत्र सालभर में सिर्फ दस दिनों के लिए खोला जाता है। श्रावण मास में खुलने वाला यह नागद्वारी नागपंचमी के आसपास तक चलता है। इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व अधिक होने के कारण इस दस दिनों के भीतर दस लाख से अधिक लोग पहुंच जाते हैं।
भोपाल से 200 किमी दूर है नागद्वारी
नागद्वारी होशंगाबाद जिले की हिल स्टेशन पचमढ़ी में है। भोपाल से यह स्थान करीब 200 किलोमीटर दूर है। पचमढ़ी में धूपगढ़ जाने वाले रास्ते के पहले ही नागद्वारी का मार्ग है। इसी स्थान से ट्रैक शुरू होता है।
सांप-बिच्छुओं का बना रहता है खतरा
इस क्षेत्र को खौफनाक इसलिए भी माना जाता है कि करीब बीस किलोमीटर के इस बियाबान रास्ते में कहीं कोई बस्ती नहीं है। हर कदम पर सांप और बिच्छू ही रहते हैं। यानी किसी भी घटना के दौरान आपको कोई मदद नहीं मिल सकती है। हालांकि प्रशासन आने वाले लोगों की संख्या और परेशानियों को देखते तमाम तरह की व्यवस्थाएं करने लगा है। यात्रा के दौरान अक्सर ही ऐसे जीव नजर आते रहते हैं।
झरने और जड़ी-बूटियों से भरपूर है यह इलाका
खास बात यह है कि इस क्षेत्र में भरपूर जड़ी-बूटियां देखने को मिलती है। इसके साथ ही यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को लुभाता है। यहां पर कई प्रकार के झरने भी हैं। कदम-कदम पर गहरी खाई भी होने से रोमांच बरकरार रहता है। कई स्थानों पर रस्सी का सहारा लेकर गुजरना पड़ता है।