रहवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन स्वच्छता अभियान के बावजूद निगम प्लॉट को कवर कराने उनके मालिकों पर सीधी कार्रवाई से बच रहा है। कई ओपन स्पेस के लिए कॉलोनियों में छोड़ी गई या रह गए स्थान है।
निगम यहां फेंसिंग कर पौधरोपण कर दें तो ये नए ग्रीन स्पेस के तौर पर विकसित हो सकते हैं। पूरे शहर में ऐसे करीब 2000 स्थान है, जो कब्जे और अवैध खरीद फरोख्त की जद में आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि निगम यदि इसपर गंभीर होकर काम करें तो सार्वजनिकतौर पर खुले स्थलों को पार्क या ग्रीन एरिया के तौर पर विकसित किया जा सकता है।
2000 वर्गफीट से 4000 वर्गफीट तक के छोटे प्लॉट कॉलोनी में पार्क के लिए छोड़े भूखंड है या फिर निगम के कब्जे वाले क्षेत्रों में खाली प्लॉट। ये रहवासियों के लिए स्थानीय स्तर पर छोटे पार्क या हरितक्षेत्र की भूमिका निभा सकते हैं। इसमें कई तरह के पेड़पौधे लगाकर लोकल स्तर पर इकोलॉजिकल सिस्टम को बेहतर किया जा सकता है।
खाली प्लॉट आवारा पशुओं की भरमार
कोलार को नगर निगम अब तक आवारा कुत्तों के साथ सुअर, गाय और अन्य पशुओं की आवारागर्दी से मुक्त नहीं करा पाया। स्थिति ये हैं कि आवारा जानवरों की बढ़ती तादाद शहरवासियों को आतंकित किए हुए हैं।
कुत्तों द्वारा आमजनों पर लगातार हमले हो रहे तो अच्छी कॉलोनियों में भटकते ***** संक्रामक बीमारियों को बढ़ा रहे हैं। मवेशियों से भरी डेयरियों शहर की मुख्य सडक़ों के किनारे, मुख्य क्षेत्रों में है। ट्रैफिक में अवरोध के साथ ही वाहन दुर्घटना का सबब बन रही है। नियम में निकासी, लेकिन जमीन पर नहीं कर पा रहेनगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में स्पष्ट है कि निगम सीमा में मवेशी, सुअर, कुत्ते पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
इन्हें शहर के बाहर किया जाए, ताकि शहरी व्यवस्था में बाधा न बने। एनजीटी से लेकर कोर्ट और कई स्तरों पर लगातार आदेश-निर्देश जारी हुए कि इन्हें बाहर किया जाए। अफसरों ने इसके लिए कागजी घोड़े भी दौड़ाए, लेकिन नजीता अब तक तो सिफर ही है। शहर में 750 से अधिक ***** पालक है। इनमें से करीब 300 तो कोलार में ही है।
कोलार में नालों की सफाई भी नहीं
कोलार से गुजर रहे गंदे नालों में चार मीटर तक गाद जमा है, जबकि हाल में स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान गाद की सफाई के दावे हुए थे। दरअसल पूरी सफाई उपरीतौर पर हुई थी। पूरे शहर की बात करें तो रोजाना 700 ट्रक गाद निकालने पर भी सभी नाले साफ करने में एक साल का समय लगेगा। सोलिड वेस्ट व सीवेज मैनेजमेंट पर अध्ययन कर रहे एक्सपर्ट आशुतोष पांडे के अनुसार शहर में कुल 778 नाले हैं। इनमें से 140 बड़े व प्रमुख है।
उनके अनुसार 80 फीसदी नाले अपनी अधिकतम गहराई की तुलना में इस समय 60 फीसदी तक भरे हुए हैं। पीएचई के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसके जैन का कहना है कि निगम बारिश के पहले नालों की सफाई का अभियान चलाता है। सभी नाले साफ करने का लक्ष्य तय किया जाता है। उनके अनुसार एक नाला यदि इमानदारी से साफ हो जाए तो उसे पांच साल तक साफ करने की जरूरत नहीं होती है।
खाली प्लॉट और नाला सफाई को लेकर हम काम करवा रहे हैं। स्वच्छता मिशन के बाद भी रोजाना की सफाई लगातार जारी है। इसमें किसी तरह की कोताही नहीं हो रही। जहां भी शिकायत मिल रही है, वहां अलग से काम कराया जा रहा है।
– मयंक वर्मा, अपर आयुक्त स्वास्थ्य