पढ़ें ये रोचक बातें…
1. राजा-रानी के अमर प्रेम की गाथा यहां का जर्रा-जर्रा सुनाता है। यहां के हरे-भरे और घने जंगल, छलछलाता कलकल करता नर्मदा का तट इसे मालवा का स्वर्ग बनाते हैं। इस खूबसूरती के बीच आकर आप खुद को बेहद खुशमिजाज और रिलेक्स्ड फील करते हैं। यही कारण है कि सुल्तानों के समय इस शहर का नाम शादियाबाद यानी खुशियों का शहर था। वहीं इसे प्रदेश का चमकता हुआ मोती भी कहा जाता है।राजा-रानी के अमर प्रेम रोमांटिक कहानी
मांडू मध्यप्रदेश का एक ऐसा पर्यटनस्थल है, जो रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है। यहां के खंडहर और इमारतें हमें इतिहास के उस झरोखे के दर्शन कराते हैं, जिसमें हम मांडू के शासकों की विशाल समृद्ध विरासत और शानो-शौकत से रूबरू होते हैं। आज कई विरासतें खंडहर की शक्ल ले चुकी हैं।Monsoon Season में देश-विदेश से आते हैं टूरिस्ट
बारिश के इन दिनों में हरियाली की मखमली सी चादर और बादलों का लिहाफ ओढ़ा मांडू देशी-विदेशी टूरिस्ट को बेहद पसंद पसंद आता है। यहां के शानदार और विशाल दरवाजे मांडू प्रवेश के साथ ही आपका ऐसे स्वागत करते नजर आते हैं, जैसे आप किसी बेहद समृद्ध शासक के नगर में प्रवेश कर रहे हों।
घुमावदार सर्पिली राहें कर देंगी दीवाना
– जैसे ही आप इन दरवाजों में प्रवेश करते हैं यहां के घुमावदार रास्ते आपको बुलाते नजर आते हैं जैसे गुनगुना रहे हों रेशम जैसी हैं राहें, खोले हैं बाहें ये वादियां… इन रास्तों की खूबसूरती यहां घूमने के लिए आपका उत्साह और जोश बढ़ा देती है।
– यह विन्ध्याचल की पहाडिय़ों पर लगभग 2,000 फीट की ऊंचाई पर बसा है। इसीलिए इसे ‘मांडवगढ़’ के नाम से भी जाना जाता है।
– पहाड़ों और चट्टानों के इस इलाके में ऐतिहासिक महत्व की कई पुरानी इमारतें आज भी समय की कसौटी पर खरी उतरती हैं।
– मालवा के राजपूत परमार शासक बाहरी आक्रमण से अपनी रक्षा के लिए मांडू को एक सुरक्षित जगह मानते थे।
ये हैं मांडू के खूबसूरत आकर्षण
– रानी रूपमती का महल, हिंडोला महल, जहाज महल, जामा मस्जिद, अशरफी महल मांडू के खूबसूरत आकर्षणों में शामिल हैं।
– यहां भगवान सुपाश्र्वनाथ की पद्मासन मुद्रा में विराजित श्वेत वर्णी सुंदर प्राचीन प्रतिमा है। इस प्रतिमा की स्थापना 1472 में की गई थी। मांडवगढ़ में कई ऐतिहासिक महत्व के जैन मंदिर भी हैं, जिसके कारण यह जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थान भी है। इसीलिए मांडू को ‘मांडवगढ़ जैन तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है।
12 दरवाजें हैं स्वागत द्वार
– मांडू में लगभग 12 प्रवेश द्वार हैं, जो मांडू में 45 किलोमीटर के दायरे में मुंडेर की तरह बनाए गए हैं। – इन दरवाजों में ‘दिल्ली दरवाज़ा’ खास है, जो मांडू का मुख्य प्रवेश द्वार है। इसे 1405 से 1407 के बीच बनाया गया था।जहाज महल
– जहाज महल मांडू के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसका निर्माण 1469 से 1500 ईस्वी के बीच किया गया था। – यह महल जहाज की आकृति में दो कृत्रिम तालाबों कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच बना हुआ है।
हिंडोला महल
– हिंडोला महल मांडू के खूबसूरत महलों में से एक है। हिंडोला का अर्थ होता ‘झूला’।
– महल की दीवारें कुछ झुकी होने के कारण यह महल हवा में झुलते हिंडोले जैसा महसूस होता है।
– इसीलिए इसे हिंडोला महल के नाम से जाना जाता है।
– हिंडोला महल का निर्माण ग्यासुद्दीन खिलजी ने 1469 से 1500 ईसवीं के मध्य सभा भवन के रूप में किया था।
– यहां के सुंदर कॉलम इसे और भी खूबसूरत बना देते हैं। इस महल के पश्चिम में कई छोटे-बड़े सुंदर महल हैं। इसके पास ही चंपा बावड़ी है।
जामा मस्जिद
– मांडू के मुख्य आकर्षणों में से एक है यहां स्थित जामा मस्जिद या जामी मस्जिद।
अशरफी महल
– जामा मस्जिद के सामने ही अशरफी महल है। अशरफी का अर्थ होता है ‘सोने के सिक्के’।– इस महल का निर्माण होशंगशाह खिलजी के उत्तराधिकारी मोहम्मद खिलजी ने इस्लामिक मदरसे के रूप में किया था।
– यहां स्टूडेंट्स के रहने के लिए कई कमरों का निर्माण भी किया गया था।
होशंग शाह का मकबरा
– होशंगशाह का मकबरा, जो कि भारत में मार्बल से बनाया गया अपनी तरह का पहला मकबरा है।
– इसमें आपको अफगानी शिल्पकला का बेहतरीन नमूना देखने को मिलता है।
– यहां के गुंबद, बरामदों तथा मार्बल की जाली आदि की खूबसूरती बेजोड़ नजर आती है।
इन इमारतों में छिपा है Mandu का रोचक इतिहास
कई ऐतिहासिक इमारते हैं यहां, इनमें नीलकंठ शिव मंदिर में आप दर्शन भी कर सकते हैं और नीलकंठमहल में घूम भी सकते हैं। इसे शाह बदगा खान ने अकबर की हिंदू पत्नी के लिए बनवाया था। इसकी दीवारों पर अकबर कालीन कला के नमूने दिखते हैं। यहां आप हाथी महल, दरिया खान की मजार, दाई का महल, जाली महल और ईको प्वॉइंट की सैर भी कर सकते हैं।