सुनाई दे रही धमाके की आवाज, सड़कों पर दौड़ रही एंबुलेंस
यूक्रेन के कीव में मध्यप्रदेश के कई स्टूडेंट हैं। जो युद्ध के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए काफी परेशान हैं, भारतीय दूतावास ने यूक्रेन में फंसे स्टूडेंटों को बंकरों में रात गुजारने की सलाह दी थी, ऐसे में हर कोई अपनी जान बचाने में जुटा हुआ है, क्योंकि अब युद्ध छिड़ गया है। कीव में फंसी एक छात्रा ने बताया कि अलसुबह ५ बजे तेज धमाका हुआ, जिसे सुनकर वह नींद से जाग खड़ी खुई, खिड़की खोलकर बाहर देख तो पुलिस और एंबुलेंस वाहन सड़कों पर दौड़ते नजर आए। उन्होंने बताया यहां सोशल मीडिया पर नजर आ रहा है कि लोग अपनी जान बचाने के लिए यहां वहां भाग रहे हैं, लेकिन हम जाए तो जाएं कहां। हमें तो घर से बाहर निकलना भी सुरक्षित नहीं लग रहा है।
राशन के लिए लग गई भीड़, हर तरफ भय का माहौल
यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंटों ने बताय कि यहां हर तरफ भय का माहौल नजर आ रहा है, बताया जा रहा है कि युद्ध भी लंबा चलेगा, ऐसे में जो जहां फंसा है, वहीं फंसा रह सकता है, इस कारण लोग एक-एक माह का राशन भी एडवांस में लेकर रख रहे हैं, ताकि जैसे तैसे कुछ खा-पीकर समय निकालें, ऐसे में यहां के मुख्य बाजार में भयंकर भीड़ हो रही है, लेकिन इसके बावजूद भी डर बना हुआ है।
स्टूडेंटों में आक्रोश, नहीं हो रही वापसी की व्यवस्था
भारतीय स्टूडेंट में काफी आक्रोश नजर आ रहा है, क्योंकि उन्हें वापस भारत लाने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, बताया जा रहा है कि युद्ध छिड़ जाने से जो प्लेन स्टूडेंटों को लेने के लिए रवाना हुए थे, उसमेें से भी कुछ रास्ते से लौट आए, ऐसे में स्टूडेंट काफी डरे सहमें हुए हैं, उन्हें सरकार से मदद का काफी इंतजार है। लेकिन उन्हें कोई हल दिखता नहीं नजर आ रहा है।
स्टूडेंट ने कहा-सड़कें हो गई सूनी
यूक्रेन में फंसे एक स्टूडेंट ने बताया कि युद्ध छिडऩे से यहां की सड़कें सूनी हो गई है, अन्य देशों के स्टूडेंटों को युद्ध से पहले ही बाहर निकाल लिया गया, लेकिन हम फंसे हुए हैं, सरकार सिर्फ गाइडलाइन और टोल फ्री नंबर जारी कर रही है, लेकिन हमें यहां से बाहर निकालने का कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। यहां यूक्रेनवासी ही शहरों से गांवों की ओर भाग रहे हैं। उन्हें भी डर है कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं चल सकता।
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भोपाल के अवधपुरी क्षेत्र में रहने वाले शशांक शर्मा ने बताया कि यूक्रेन के वेनीसिया में अलसुबह 6 बजे युद्ध का पता चला। सबसे पहले पानी, खाना इक_ा किया। लेकिन भारत सरकार से मदद नहीं मिल रही। केवल टोल फ्री नंबर दिए हैं। ऐसे में हालात पहले से भी बद्तर नजर आ रहे हैं। एयरपोर्ट पर भी अटैक हो रहे हैं, सुबह जो फ्लाइट थी वह भी कैंसिल हो गई है। हम लोगों को पोलैंड के रास्ते से सरकार यूक्रेन से बाहर निकाल सकती है। यहां फ्लाइट में भी कई गुना अधिक किराया वसूला जा रहा है, जो देना भी हर किसी स्टूडेंट के बस की बात नहीं है।