आखिर क्यों अटके जिलाध्यक्षों के नाम?
जब अब तक 56 जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान हो चुका है तो फिर 6 और नाम क्यों अटके हुए हैं ये सवाल सभी के जहन में उठ रहे हैं। खासकर इन जिलों के भाजपा कार्यकर्ताओं तो इंतजार में ही दिन काट रहे हैं कि शायद आज उनके जिले के जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान हो जाए। आखिर क्यों इन जिलों के जिलाध्यक्षों के नाम अटके हैं अगर इसकी बात करें तो तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चलिए जिलेवार बताते हैं… यह भी पढ़ें
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नरसिंहपुर- नरसिंहपुर जिले की चार विधानसभाओं में से चारों भाजपा के खाते में हैं। नरसिंहपुर विधायक प्रहलाद पटेल और गाडरवारा विधायक राव उदय प्रताप प्रदेश सरकार में मंत्री भी है। चर्चाएं हैं कि दोनों ही मंत्री अपने अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं और इसी कारण नरसिंहपुर के जिलाध्यक्ष का नाम अटका हुआ है। चर्चाएं ये भी हैं कि किसी महिला नेता को मौका दिया जा सकता है।
इंदौर- इंदौर शहर और ग्रामीण दोनों ही जिलाध्यक्षों के नाम भी अटके हुए हैं इसकी वजह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक मनोज पटेल व उषा ठाकुर के द्वारा अपने अपने करीबियों के लिए जोर लगाना बताया जा रहा है। इंदौर पर ‘कब्जे’ को लेकर मची खींचतान से न तो अभी तक इंदौर ग्रामीण जिलाध्यक्ष का ऐलान हो पाया है और न ही इंदौर ग्रामीण का।
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छिंदवाड़ा- छिंदवाड़ा की अगर बात करें तो यहां विवेक बंटी साहू के सांसद बनने के बाद शेषराव यादव कार्यवाहक जिलाध्यक्ष बनाए गए थे। बताया जा रहा है कि सांसद विवेक बंटी साहू छिंदवाड़ा में जिलाध्यक्ष के पद पर नया चेहरा चाहते हैं।
टीकमगढ़-निवाड़ी – केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक के संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ और निवाड़ी में भी अभी तक जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि टीकमगढ़ में वीरेन्द्र खटीक जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष विवेक चतुर्वेदी को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो निवाड़ी में लगभग तय हो चुका पूर्व मंत्री सुनील नायक के चचेरे भाई गणेशी लाल नायक का नाम कट सकता है और इसीलिए यहां भी पेंच फंसा दिख रहा है।