कई सुविधाओं पर लग गया ब्रेक
अध्यापकों को मिलने वाली सीनियरटी (वरिष्ठता), पदोन्नति, क्रमोन्नति, ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी तमाम सुविधाओं पर ब्रेक लग गया। ऐसे में अगर अध्यापकों का संविलियन किया जाता तो उन्हें इन सारी सुविधाओं का फायदा मिलता। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने तत्कालीन सीएम की घोषणा के बावजूद शिक्षा विभाग में संविलियन की जगह जुलाई 2018 से नए कैडर में नियुक्ति कर दी। जिससे अब शिक्षकों का भविष्य संकट में पड़ गया है।
अध्यापकों ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
अध्यापकों ने हाईकोर्ट जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में याचिकाएं दायर की थी। याचिकाओं में नियुक्ति की जगह संविलियन, वरिष्ठता, वेतन विसंगतियां, पेंशन की गुहार लगाई थी। इधर, विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियुक्ति दिनांक से सर्विस नहीं मानी जाएगी। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए आदेश में कहा है कि श्रम न्यायालय से प्राप्त नोटिस को गंभीरता से लिया जाए।
क्या है मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश
लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जारी किए गए आदेश में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि ऐसे नवीन संवर्ग के लोकसेवक जिनकी सेवानिवृत्ति से पहले नवीन संवर्ग का सेवाकाल पांच वर्ष से कम है, पेंशन नियमों के तहत उन्हें ग्रेज्युटी की पात्रता नहीं है। उनमें से कतिपय लोकसेवकों द्वारा श्रम न्यायालय में ग्रेच्युटी की मांग को लेकर याचिकाएं लगाई जा रही हैं। प्रकरणों का उचित प्रतिरक्षण नहीं होने के कारण श्रम न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी प्रदान करने के निर्णय पारित किए जा रहे हैं।