चेयरमैन के चयन में
राज्य सरकार महज सिफारिशी बॉडी के रूप में काम करेगी। कंपनी में 10 डायरेक्टर होंगे। इनमें से पांच डायरेक्टर केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे। पिछली भाजपा सरकार ने सामान्य नियमों को अनदेखा कर कंपनी का गठन किया था। अब कांग्रेस सरकार कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के बेसिक-रूल्स में बदलाव कर रही है।
केंद्र सरकार की
MP मेट्रो ट्रेन में हिस्सेदारी होने के कारण कंपनी में भी मोदी सरकार को कंट्रोलिंग पॉवर देने होंगे। प्रोजेक्ट में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिए प्रदेश सरकार हाई पावर कमेटी बनाएगी।
ऐसे होगा वित्तीय विभाजन
प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण, पुनस्र्थापन और पुनर्वास में आने वाला खर्च वहन करेगी। भोपाल मेट्रो के लिए यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक और इंदौर मेट्रो के लिए एशियन डवलपमेंट बैंक तथा न्यू डवलपमेंट बैंक से कर्ज भी लिया जाएगा।
मेट्रो रेल एम्स से करोंद के बीच :
वहीं इससे पूर्व मध्यप्रदेश में भाजपा शासनकाल के दौरान ये बात सामने आई थी कि शहर में पांच डिब्बों वाली मेट्रो रेल एम्स से करोंद के बीच 90 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी। इस स्पीड से मेट्रो रेल 14.99 किमी लंबा सफर 28.22 मिनट में पूरा करेगी। पहले चरण के इस रूट पर कुल 12 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें 4 स्टेशन पीपीपी मोड के होंगे।
भोपाल में पहले चरण पर 6962.92 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसमें टैक्स की राशि अतिरिक्त रहेगी। प्रोजेक्ट की फंडिंग के तहत केंद्र सरकार 1164.44 करोड़ रुपए, राज्य 1843.62 करोड़ रुपए जारी करेंगी। 3493.34 करोड़ रुपए कर्ज और 440 करोड़ रुपए पीपीपी मोड पर जुटाए जाएंगे।
केंद्र-राज्य एवं मेट्रो कंपनी के बीच होने जा रहे त्रिस्तरीय एमओयू के लिए तैयार प्रस्ताव में इन तथ्यों को शामिल किया गया है। मेट्रो कंपनी ने प्रस्ताव मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिखाया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट बैठक में शामिल कर मंजूरी मिलने की संभावना है।
भोपाल पहले चरण का फंड मैनेजमेंट…
1164.44 करोड़ रुपए: केंद्र सरकार से।
1843.62 करोड़ रुपए: राज्य सरकार से।
3493.34 करोड़ रुपए: यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक।
440 करोड़ रुपए: पीपीपी मोड से मिलेंगे। त्रिस्तरीय एमओयू…
भोपाल-इंदौर में मेट्रो कंपनी की कमान मुख्यमंत्री के बजाय केंद्र से नामित व्यक्ति के पास होगी। मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) के ड्राफ्ट के अनुसार केंद्र से बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में नामित पांच डायरेक्टर्स में से एक कंपनी का चेयरमैन होगा।
कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद इस एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे। मेट्रो कंपनी राज्य और केंद्र सरकार के ज्वाइंट वेंचर कहलाएगी।