दरअसल, तीन रोज पहले डीजीपी वीके सिंह ने एसटीएफ के गाजियाबाद स्थित निजी बंगले को खाली करने के निर्देश दिए थे। कहा जा रहा है कि यह बंगला एसटीएफ के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा के कहने के बाद किराए पर लिया गया था और इसकी अनुमति नहीं ली गई थी। एक स्थानीय अखबार ने डीजीपी के आधार पर खुलासा किया कि इस बंगले के तार भी हनीट्रैप से जुड़े हुए हैं। इसके बाद आज पुरुषोत्तम शर्मा ने अपने डीजीपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।
सांसद, मंत्री से लेकर पूर्व मंत्री तक हनीट्रैप मामले की जांच के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वह बड़े ही चौंकाने वाले हैं। कहा जा रहा है कि जांच के दौरान वर्तमान सांसद और उनके बेटे का नाम सामने आया है। इसके साथ ही वर्तमान मंत्री से लेकर दो पूर्व मंत्री और दो दर्जन से ज्यादा आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम सामने आ रहे हैं। वर्तमान सांसद और उनके बेटे के बारे में चर्चा है कि वह एक ही लड़की के साथ चैट कर रहे थे।
डीजीपी को बताकर ही किराए पर लिया डीजीपी ने कहा था कि बंगला बिना अनुमति के लिया गया है। जिसका विरोध करते हुए पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि बंगला डीजीपी की जानकारी के बाद ही लिया गया था। इसकी जानकारी उन्हें थी और खुद डीजीपी ने स्वीकार किया है कि उन्हें इसकी जानकारी थी। अब वह नकार कर झूठ बोल रहे हैं। पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि पूरी रिपोर्ट बनाकर दी थी, जिसके आधार पर ही बंगला किराए पर लिया था। लेकिन अब उस बंगले को हनीट्रैप से जोड़ा जा रहा है यह गलत है। आखिर बंगले और हनीट्रैप का क्या संबंध है।
मुख्यमंत्री से हुई शिकायत पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि मैं अभी टूर पर हूं। जानकारी मिलने के बाद मैंने इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ से फोन पर बात की है और उन्हें पूरे तथ्यों से अवगत भी कराया है। सीएस से जल्द सीधे मिलकर उन्हें साक्ष्यों से भी अवगत करा दूंगा।
आईपीएस एसोसिएशन को लिखा पत्र एसटीएफ के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने लिखा आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र। मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक वीके सिंह द्वारा की गई कार्रवाई पर रोष प्रकट किया। पत्र में लिखा” मुझे अत्यधिक दुख व पीड़ा है कि हमारे संस्कार इतने निचले स्तर तक आ गए। एक सीनियर अधिकारी ने अपने मातहत सीनियर अधिकारी की इज्जत उछाल दी। इस व्यवहार से पूरे विभाग की इज्जत उछाली गई। मेरा निवेदन है कि डीजीपी वीके सिंह के इस कृत्य की भर्तसना और भविष्य में इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति ना हो, इसकी भी व्यवस्था की जाए। डीजीपी का बयान न केवल अखबार में छपवाया गया बल्कि पुलिस मुख्यालय और साइबर सेल की हर कमरे में बटवाया गया और व्हाट्सएप पर इसे सर्कुलेट भी किया गया। इतना ही नहीं, डीजीपी ने इसका खंडन तक नहीं किया।
बिना सीएम को बताए बनाई एसआईटी एक बड़ा सवाल इस समय चर्चा में है कि मुख्यमंत्री को भरोसे में लिए बगैर ही डीजीपी वीके सिंह ने एसआईटी का गठन कर दिया। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने बीते रोज प्रमुख सचिव गृह को आपत्ति जाहिर की थी। जिस पर उन्होंने पूरे मामले में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था। प्रमुख सचिव के इनकार के बाद डीजीपी से पूरे मामले पर बात की गई और उसके बाद देर शाम खुद एसआईटी चीफ एडीजी संजीव शमी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे।
आमने—सामने आईएएस—आईपीएस अफसर हनीट्रैप मामले में लगातार उछल रहे नामों के बीच में आईएएस—आईपीएस अफसर आमने—सामने आ गए हैं। दरअसल, आईएएस अफसरों का आरोप है कि आईपीएस अफसर जानबूझकर छवि बदनाम करने के लिए रोज नए आईएएस अफसरों के नाम उछाल रहे हैं। जबकि आईपीएस अफसरों के नाम हनीट्रैप में होने के बाद भी दबाए जा रहे हैं। पिछले दिनों वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसकी जानकारी भी दी थी।